एक मित्र द्वारा अच्छा शिक्षक होने की प्रशंसा पर
इतने बड़े कांप्लीमेंट के लिए बहुत बहुत आभार। ऐसे कांप्लीमेंट से गद गद हो जाता हूं और मॉडेस्टी नहीं दिखा पाता। मैंने हमेशा अच्छा इंसान और अच्छा शिक्षक बनने का निरंतर प्रयास किया है। अच्छा शिक्षक होने के लिए अच्छा इंसान होना जरूरी है, करनी-कथनी में एका जिसकी एक अनिवार्य शर्त है। शिक्षक (और अभिभावक) को प्रवचन से नहीं मिशाल से पढ़ाना चाहिए। जब तक कोई बाध्यता न हो कभी लेक्चर तैयार किए बिना क्लास नहीं जाता था। जिस दिन बिना तैयारी के साथ गया बच्चों को बता देता था। कल एक छात्रा (फिलहाल राजस्थान में प्रशिक्षु जिला जज) का फोन आया था उसने मजा लेते हुए याद दिलाया कि एक ऐसी ही क्लास के बाद उसने 'निवेदन' किया था कि सर आप बिना तैयारी के क्लास आया कीजिए। हा हा। पुराने छात्रों से बात-मुलाकात एक शिक्षक के लिए बहुत ही आनंददायी होता है। प्रशंसा से खुश होने में आत्ममुग्धता का खतरा रहता है, जिससे बचना चाहिए।
14.01.2021
No comments:
Post a Comment