स्त्रियों और शूद्रों द्वारा शिक्षा प्राप्त करने के प्रयास करने के "अपराध" में दंडित करने का प्रावधान मनुस्मृति में है जिसका रचना काल वैदिक युग से कुछ हजार साल बाद का है । ऋगवैदिक समाज एक समता मूलक जनतांत्रिक समाज था तथा विदथ, सभा और समिति जैसी निर्णयकारी संस्थाएं लोक सहमति पर आधारित थीं। समाज कुटुंबों में बंटा था कुटुंब के मुखिया को राजा कहा जाता था। ऋगवेद के 7वें मंडल में वर्णित दस राज्ञ युद्धः दरअसल कुटुंबों की लड़ाई थी जिसमें एक तरफ में दस कबीलों (कुटुंबों) का गठजोड़ था जिसके सलाहकार विश्वामित्र थे दूसरी तरफ भारत समुदाय के तुत्सु कुटुंब के मुखिया (राजा) सुदास थे जिसके सलाहकार वशिष्ठ थे। युद्ध में सुदास की विजय हुई थी और समझौते में विश्वामित्र और वशिष्ठ दोनों ही सुदास के पुरोहित (सलाहार) बने।
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