सत्योत्तर युग में शब्दों के मायने बदल गए हैं
बेईमानी का मतलब हो गया है ईमानदारीबड़ा कवि समय के साथ चलता है
पाने को सत्ता का समुचित प्रसाद
सत्य की नई परिभाषा लिखता है
जिसका मृदंगमीडिया पर भजन गाता है
धीरे धीरे सत्योत्तर युग का असत्य
नए भारत का नया सत्य बन जाता है
क्योंकि खाकर प्रसाद बड़ा कवि
ईमानदारी की नई परिभाषा को
जनगणमन की भावना बताता है
(ईमि:08.12.2022)
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