अस्मिता की राजनीति धूर्तता ही है, चाहे वह धार्मिक अस्मिता की हो या जातीय अस्मिता की। जातिवाद भारतीय समाज का नासूर है, इसीलिए अंबेडकर उसका विनाश जरूरी समझते थे। लेकिन वे यह नहीं समझते थे कि क्रांति के बिना जाति का विनाश नहीं हो सकता और जाति के विनाश के बिना क्रांति नहीं। इसीलिए जातिवाद विरोधी आंदोलन और क्रांतिकारी अभियानों के मिलन की जरूरत है, जिसका नारा होगा जय भीम लाल सलाम।
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