अनादि काल से मनुष्य एक जगह से दूसरी जगह आते-जाते बसते रहे हैं इस लिए मूलनिवासी और बाहरी का राग अलापना अनैतिहासिक, अप्राकृतिक और अमानवीय है। जो भी जिस भूभाग में पर रहता है वह वहां का निवासी है। धरती के उपहारों पर सभी का समान अधिकार है, स्वयं धरती पर किसी का नहीं। जो कहीं थोड़ा पहले पहुंच गया, वह अज्ञान ओर मिथ्या चेतना के चलते थोड़ा बाद में आने वालों को बाहरी मानते और बताते हैं। अमेरिकी महाद्वीपों में नगण्य संख्या में बचे वहां के आदिवासियों ( रेड इंडियन) के अलावा सारे ही लोग 1492 में कोलंबस की तथाकथित खोज के बाद के बासिंदे हैं, लेकिन थोड़ा पहले पहुंचे गोरे बाकियों को बाहरी मानते हैं । वहां के आदिवासियों के भी विभिन्न समूह कभी-न-कभी कहीं-न-कहीं से आए होंगे। धरती पर रहने वाला हर व्यक्ति धरती का एकसमाम निवासी है और भारत में रहने वाला हर व्यक्ति एकसमान भारतवासी है।
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