पढ़े-लिखे और अपढ़ लोगों में फर्क के एक विमर्श में सज्जन ने लिखा, "एसे पढ़े-लिखों का क्या फायदा जो सिर्फ नकारात्मकता फैलाता हो और एक खास एजेंडे के लिए अपना पर दिमाग लगाता हो", उस पर:
सकारात्मकता क्या होती है? राजा का जयगान? एजेंडा तो सबका होता है किसी का एजेंडा भोले-भाले इंसान को बाभन बनाने का होता है किसी का जन्म के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन करने वाले बाभन को कर्म-विचारों के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन करने वाला विवेकसम्मत इंसान बनाना; किसीी का एजेंडा जाति और धर्म के आधार पर नफरत की संस्कृति फैलाकर समाज को विषाक्त करना होता है, किसी का मानवता की सेवा में मानवीय संवेदनाओं के आधार सामासिक संस्कृति का सौहार्द फैलाना; किसी का एजेंडा सत्ता की अंधभक्ति में पेट पर लात भी प्रसाद समझकर खाना होता है तो किसी का जनपक्षीय बदलाव के लिए सत्ता का कोप सहकर गर्दन दांव पर लगा देना। वर्ग समाज में न्याय-अन्याय की विभाजन रेखा खिंची होती है, सवाल पक्ष चुनने का होता है। सत्ता की अंधभक्ति करने वाले कुछ लोगों में अपना पक्ष स्वीकारने का नैतिक साहस नहीं होता और वे निष्पक्षता का ढोंग करते हैं। कुछ चरणामृत पीते हुए राजा का जयगान लिखते हैं और कुछ लुआठा हाथ में लिए बाजार में खड़े होकर अपना घर फुंकवाने का खतरा उठाकर यथास्थिति के विरुद्ध बिगुल बजाते हैं। तो एजेंडा तो सभी का होता है, कुछ में अपने एजेंडे की वाछनीयता में संदेह के चलते उसे स्वीकारने का साहस नहीं होता। आपका एजेंडा क्या है?
जी, जयगान न करने और नास्तिकता के चलते प्रोफेसर नहीं बन सका, जब गॉडै नहीं है तो गॉडफदरवा कहां से होता? आप यदि में छात्र रहते तो शायद आप भी सत्ता की चाटुकारिता करने वाली परंपरा के लाला से इंसान बन गए होते, आपकी भाषा से लगता नहीं कि इंसान बन पाए हैं। हम तो 13 साल की उम्र में ही जनेऊ तोड़कर बाभन से इंसान बनने की प्रक्रिया शुरू कर दिए थे लेकिन आप में लगता नहीं इंसान बनने का साहस है, लेकिन शिक्षक होने के नाते आपको भी इंसान बनाने की कोशिस बंद नहीं करूंगा। सुधार क्या होता है? तालिबानी तर्ज पर शिक्षा को पोंगापंथ फैलाने का माध्यम बनाकर? इतिहास को बर्बाद करके? प्रसाद समझ पेट पर लात खाने वाले अंधभक्त से इंसान बनकर सोचिए तो समझ में आ जाएगा कि किस तरह तालिबानी तर्ज पर मजहब की सियासत करने वाली यह क़रपोरेटी सरकार शिक्षा को बर्बाद कर मुल्क को दकियानूसी में अफगानिस्तान और सीरिया से आगे ले जाना चाहती है। दरबारी परंपरा के लाला से इंसान बन जाइए तो यह बात आप भी समझ सकेंगे। सादर शुभकामनाएं।
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