Thursday, April 21, 2022

बेतरतीब 126 (नाम का अर्थ)

 35-36 साल पुरानी बात हो गयी, किसी ने किसी से परिचय कराया, "यह ईश है", फिर थोड़ा ठहर कर बोला, "असली वाला नहीं"। मैंने पलटकर जवाब दिया, "वह होगा नकती, मैं तो असली वाला हूं, छूकर देख लो"। मेरे लिए तो नाम पहचान का एक कर्णप्रिय शब्द होना चाहिए, उसका क्या अर्थ है या नहीं है, इसका कोई मतलब नहीं।मैंने अपनी बेटियों के नाम ऐसे ही रखा, उनके अर्थ के बारे में सोचा ही नहीं, बाद में लोगों ने अन्य भाषाओं से उनके अर्थ बताया। नाम को अर्थ उसे धारण करने वाला देता है। फ्री-लांसिंग (बेरोजगारी) के दिनों में कभी किसी पत्रिका में अगर दो लेख छपते तो एक ही अंक में दो बाईलाइन अटपटा लगता और अपने लिखे का मोह भी नहीं जाता तो छोटे लेख के नीचे नाम के पहले और अंतिम शब्द के पहले अक्षर मिलाकर 'ईमि' लिख देता था। जब मेरी दूसरी बेटी पैदा हुई तोउसका नाम रखने में बहुत सोचा ही नहीं, ई का इ कर दिया और मि का मा तथा उसका नाम इमा रख दिया। जब मेरी नतिनी अपनी मां (मेरी बड़ी बेटी, मेहा) के पेट में थी तो इमा ने कहा, 'दीदी के बेबी के लिए हम लोगों सा कोई अच्छा सा नाम सोचो', मैंने कहा तुम लोगों का नाम तो बिना सोचे रख दिया था, वैसे ही इसका नाम "माटी" रख देते हैं'। उसने हंसकर कहा, 'बेटा हुआ तो ढेला', मैंने कहा कि तब सोचेंगे। लेकिन सोचना नहीं पड़ा, माटी ही आ गयी।

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