मैक्यावली राज्य की आचारसंहिता को धर्म और नैतिकता की आचार संहिता से अलग करता है और विवाद की स्थिति में राज्य की आचार संहिताको तरजीह देता है क्योंकि वह राज्य की आचारसंहिता को सर्वोपरिमानता है। लेकिन धर्म को राज्य का प्रभावी उपकरण भी मानता है और राजा को सलाह देता है कि धार्मिक रीति-रिवाज तथा कर्मकांड कितने भी अतार्किक क्यों न हों राजा को न केवल उनसे छेड-छाड़ नहीं करना चाहिए बल्कि उनका अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि वे प्रजा को संगठित रूप से वफादार बनाए रखने में प्रभावी औजार हैं तथा भगवान का भय राजा के भय का रूप ले लेता है। राजा कितना भी फरेबी और अधार्मिक क्यों न हो लेकिनउसे हमेशा धर्मात्मा का अभिनय करना चाहिए। लोग भीड़ होते हैं और अभिनय को ही सच मान लेते हैं। कुछ लोग असलियत समझ जाएंगे लेकिन जब आमलोग उसके समर्थक हैं तो कुछ लोगों की कौन सुनेगा तथा उनकी आवाज आसानी से दबाई जा सकती है। हमारा मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य उसका ज्वलंत उदाहरण है।
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