मुझे जीवन में कुछ बहुत ही अच्छे शिक्षक मिले, प्राइमरी में एक रामबरन मुंशी जी थे, जो वरिष्ठतम शिक्षक और प्रधानाध्यापक होने के नाते कक्षा 4 और 5 को पढ़ाते थे। मैं जब कक्षा 4 में पहुंचा तो वे रिटायर हो गए थे। पतुरिया जाति के थे इसलिए लोग पीठ पीछे उनके प्रति अवमाननापूर्ण लहजे में बात करते थे। उनका आचरण और छात्रों के प्रति उनका स्नेह बहुत मोहक था। मुझे जब भी मिलते गणित या भाषा का कोई सवाल पूछ कर पीठ ठोंकते। जब भी घर जाता उनसे अक्सर मुलाकात हो जाती। अंतिम मुलाकात सन् 2,000 में हुई, साइकिल चलाकर चौराहेबाजी करने आते थे। 1963 में रिटायर हुए, 2,000 में कम-से-कम 97 साल के रहे होंगे। मिडिल स्कूल, हाई स्कूल, इंटर में एक-दो ऐसे शिक्षक अवश्य मिले जिनसे प्रभावित हुआ। 2012 में मिडिल स्कूल (1964-67) के अपने एक शिक्षक से घर से 40 किमी दूर मिलने गया तो वे बहुत गद गद हुए। इवि में कुछ शिक्षक ऐसे मिले जिनकी स्मृतियां अक्षुण हैं। प्रो. बनवारीलाल शर्मा से जब भी इलाहाबाद जाता अवश्य मिलता। जेएनयू के कुछ शिक्षकों के प्रभाव में तो जीवनपद्धति ही बदल गयी और कुछ के पढ़ाने के तरीके ने मेरे पढ़ाने की पद्धति को प्रभावित किया। शिक्षक दिवस पर अपने सभी शिक्षकों और छात्रों को बधाई।
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