Tuesday, September 21, 2021

ईश्वर विमर्श 102 (महंत की मौत)

 आज सुबह ही आनंद गिरि की तस्वीरें सोशल मीडिया पर दिखाई दीं...क्या ही ठाट हैं बन्दे के..यह वह लोग हैं जो आम जनता को माया मोह,काम क्रोध से दूर रहने के उपदेश देते हैं ,और ख़ुद इंद्र का वैभव लजाये ऐसा जीवन जीते हैं...

सोसल मीडिया पर वायरल हो रही यह तस्वीर संदिग्ध हालत में मरे पाए गए, प्रतिष्ठित भूमाफियाओं की तर्ज पर हजारों एकड़ जमीन का वारा-न्यारा करने वाले इलाहाबाद के बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्रगिरि के विवादित चेले आनंदगरि की है। बाहुबलियों,राजनीतिज्ञों की तरह हम उन्हीं महंतों,बाबाओं, गुरुओं को अधिक भाव देते हैं जो धन दौलत की रेलमपेल में खेलते-पलते हैं...कुंभ में हम सबसे महंगे और भव्य पंडाल वाले बाबा को श्रेष्ठ मानते हैं ,सोने के छत्र,असलहे और महंगी गाड़ियों,सुंदर चेले चेलियों वाले बाबा के यहां भीड़ लगाए रहते हैं...ऐसे बाबाओं,महंतों को देखकर हम नहीं कहते कि यह नकली बाबा हैं..पता नहीं लोगों की इनपर श्रद्धा कैसे उपजती है?
लेकिन, हम आम भारतीय अन्नउपजाने वाला ऐसा किसान चाहते हैं...जिसके तन पर न पूरे कपड़े हों,न पैरों में चप्पल। ..'धोती फटी की लटी दुपटी और पाँव उपानह कय नहीं सामा..'.यह हमारे पैमाने पर खरा उतरने वाला किसान है..हम चाहते हैं कि किसान ऐसा ही निरीह और फटेहाल रहे ...पर कोई किसान जीन्स पहन ले, बिसलेरी की बॉटल से पानी पी ले तो हम उसे नकली किसान कहते हैं..उसे देखते ही हमारी धारणा को चोट लगती है..वह आतंकवादी से लेकर देशद्रोही तक कहलाता है..
हमारी धारणाएं कितनी सेलेक्टिव और क्रूर हैं ...किसान होरी की तरह हो और महंत कुबेर की तरह..
अपना ख़ूब पसीना बहाकर अन्न उपजाने वाला किसान अधनंगा रहे और धर्म के नाम पर मूर्ख बनाकर ऐयाशी करने वाला धूर्त पूजा जाए यही समाज की विडंबना है..
धर्म का धंधा चोखा धंधा है
किसान का हाल बेहाल

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