एक कांग्रेसी मित्र ने लिखा कि भारत के समाजवादी अर्थतंत्र को पूंजीवाद में बदलने वाले नरसिंह राव ने 1996 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़कर कांग्रेस की पराजय का पथ प्रशस्त किया। उस पर --
पहली बात तो नरसिंह राव के पहले भारत समाजवादी नहीं, सामंतवाद से लड़ता हुआ, अर्धसामंती, अर्धपूंजीवादी देश था, भूमंडलीकरण के बाद साम्राज्यवादी भूमंडलीय पूंजी ने सांप्रदायिक रूप ले चुके भारतीय सामंतवाद से गठजोड़ कर भारतीय कल्याणकारी अर्थतंत्र को तबाह कर अधीनस्थ बनाना शुरू कर दिया। भूमंडलीकरण की शुरुआत में मैंने एक लेख लिखा था कि आरएसएस का आर्थिक एजेंडा कांग्रेस लागू कर रही थी। कांग्रेस के पतन का कारण नरसिंह राव की नासमझी नहीं थी, इसकी जड़ें 1980 के दशक में कॉमर्शियल पाइलट से राजनेता बने राजीव गांधी की कमनिगाही में खोजी जा सकती हैं, 1984 के प्रायोजित सिख नरसंहार के बाद मिली संसदीय सफलता के नशे में जिन्होंने प्रतिस्पर्धी सांप्रदायिक राजनीति का सहारा लिया। दुश्मन के मैदान में उसी के हथियार से लड़ाई में हार अवश्यंभावी थी।
No comments:
Post a Comment