Saturday, March 23, 2019

जनहस्तक्षेप प्रेस विज्ञप्ति (मीडिया की भूमिका)


जनहस्तक्षेप
फासीवादी मंसूबों के खिलाफ अभियान

प्रेस विज्ञप्ति
नयी दिल्ली
मार्च 23, 2019
अनेक जानेमाने विचारकों, शिक्षाविदों और पत्रकारों ने देश की विविधतापूर्ण संस्कृति पर शासन प्रायोजित फासीवादी हमलों की निंदा करते हुए मौजूदा माहौल में स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया की जरूरत को रेखांकित किया है। इन बुद्धिजीवियों ने ‘2019 की चुनौतियां और मीडिया की भूमिकापर मानवाधिकार संगठनजनहस्तक्षेपकी ओर से नयी दिल्ली के भारतीय प्रेस क्लब में आयोजित आम सभा में कहा कि संचार माध्यमों का एक बड़ा तबका सत्ता के चारण की भूमिका निभा रहा है। खास तौर से मौजूदा सरकार के आने के बाद से मुख्यधारा की मीडिया तथा कारपोरेट घरानों और राजनीतिक गिरोहों के नियंत्रण वाले टीवी चैनल राष्ट्रीय महत्व की घटनाओं और जनता के सरोकारों को नजरंदाज कर रहे हैं। वे पक्षपातपूर्ण मानसिकता के निर्माण के लिये झूठ को फैलाने और दुष्प्रचार में लगे हैं। ऐसे में नैतिक और ईमानदार पत्रकारों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है तथा नागरिक समाज और उसके संगठनों को उनके पक्ष में मजबूती से खड़ा होना चाहिये।
सुप्रसिद्ध विचारक और स्तंभकार प्रेम शंकर झा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया का गला घोंटना मौजूदा सत्ताधारियों के फासीवादी मंसूबे का सिर्फ एक पहलू है। वे बेरोजगारी, खेती के संकट, प्रतिगामी शिक्षा नीति और उच्चतर शैक्षिक संस्थानों पर हमलों से पैदा असंतोष को दबाने के लिये धार्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के नारे का सहारा ले रहे हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को लगातार दमन का निशाना बनाया जा रहा है। सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के संरक्षण और प्रोत्साहन से गौरक्षा और लव जिहाद के नाम पर अल्पसंख्यकों और दलितों के खिलाफ हमले किये जा रहे हैं जिससे देश का सतरंगी तानाबाना छिन्नभिन्न होने के कगार पर है।
श्री झा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी सरकार के कृत्यों या कुकृत्यों की जानकारी सार्वजनिक करने के लिये संवाददाता सम्मेलन बुलाना तक उचित नहीं समझा। इसके अलावा राष्ट्रीय विकास परिषद की भी कोई बैठक नहीं बुला कर उन्होंने देश के संघीय ढांचे पर कुठाराघात किया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल पुलिस और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के बीच हाल के टकराव को भारत की बहुलतावादी और संघीय विचारधारा के लिये खतरे की घंटी बताया।
श्री झा ने कहा कि गुप्तचर ब्यूरो और जम्मू कश्मीर पुलिस ने पुलवामा की घटना से पहले ही इस तरह के हमले की आशंका की चेतावनी दी थी। मगर मोदी सरकार ने पाकिस्तान विरोधी युद्धोन्माद के सहारे राजनीतिक लाभ लेने के मकसद से इसे नजरंदाज कर दिया। उन्होंने संदेह जताया कि यह पूरा घटनाक्रम पाकिस्तान सरकार के साथ मिल कर रचा गया नाटक था।
जानेमाने शिक्षाविद् और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने समाचार और विचार के नाम पर मीडिया के एक तबके द्वारा परोसे जा रहे झूठ और दुष्प्रचार के सामने विवेकशील नागरिकों के बेबसी पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि खास तौर से हिंदी मीडिया ने 1980 के दशक के मंदिर आंदोलन के बाद एक ऐसा पाठक और दर्शक वर्ग तैयार किया है जो झूठ और दुष्प्रचार को ही समाचार के रूप में स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि फिरकापरस्त रिपोर्टिंग आम नागरिकों की आकांक्षाओं और संवेदनाओं को भी साम्प्रदायिक बना रही है। उन्होंने एक ऐसी वैकल्पिक मीडिया की जरूरत बतायी जो जनता तक पहुंच कर उसे सचाई से वाकिफ करा सके।
अंग्रेजी मासिककारवांके संपादक हरतोश सिंह बल ने जानेमाने पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी और उनकी टीम को टेलीविजन चैनलसूर्या समाचारसे सरकार के दबाव में निकाले जाने का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया पर हमले औपनिवेशिक वैश्विक पूंजी के लिये प्रतिस्पर्धी वफादारी का नतीजा हैं। ये हमले मोदी सरकार से पहले भी होते थे और इसके हटने के बाद भी इनके जारी रहने का अंदेशा है। 
श्री वाजपेयी के साथ हीसूर्या समाचारसे हटाये गये वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने मौजूदा मुश्किल समय में पत्रकारों की परेशानियों की चर्चा की। उन्होंने पत्रकारों के हकों और सही सूचना पाने के जनता के अधिकारों के लिये व्यापक संघर्ष का आह्वान किया।
जनहस्तक्षेप के संयोजक और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ईश मिश्र ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया का दायित्व सिर्फ सूचनाएं देना ही नहीं बल्कि सत्ता से सवाल पूछना भी है। लेकिन सरकार और सत्तारूढ़ दल उसे अपना यह दायित्व पूरा करने से रोक रहा है। एकांगी विचारधारा के खिलाफ असंतोष की आवाज को लगातार कुचला जा रहा है। सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार को बेनकाब करने वाले पुण्य प्रसून वाजपेयी को पहलेएबीपी न्यूजऔर फिरसूर्या समाचारसे हटाया जाना इसकी मिसाल है।
0/ ईश मिश्रा (संयोजक)
मोबाइलः 9811146846
0/विकास वाजपेयी (सह-संयोजक)
मोबाइलः 9717820427

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