Friday, March 1, 2019

फुटनोट 233 (युद्धोंमाद)

Maj Pravin Singh पुलवामा का आत्मघाती आतंकी पाकिस्तानी नहीं, हिंदुस्तानी (कश्मीरी था)। ये हमले चुनाव के समय ही क्यों होते हैं? इतने जवान एक जगह से दूसरी जगह सड़क से भेजने का मतलब चलता-फिरता कैंप। वैसी सुरक्षा का इंतजाम क्यों नहीं किया गया? सीआरपीयफ के अधिकारियों के बारंबार अनुरोध के बावजूद उन्हें हवाई रास्ते से क्यों नहीं भेजा गया? आप सेना में रहे हैे आप जानते होंगे कि सरहद पर क्या होता है सच जानना मुश्किल है। युद्धोंमादी देशभक्ति पर हमारा एकाधिकार नहीं है, पाकिस्तान में भी हिंदुस्तान मुर्दाबाद की देशभक्ति चलती है। युद्धोंमादी देशभक्ति के चलते ही अमरीका, अफगानिस्तान, इराक, लीबिया के असिपताल-स्कूलों पर हजारों टन बम गिरा सका। विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तानी युद्धोंमादी देशभक्त मॉब लिंचिंग कर देते अगर उनमें से कुछ अमनपसंद न निकलते और समय पर सेना हस्तक्षेप न करती। जैसे हिंदुस्तान में लोग अभिनंदन की सलामती की दुआ कर रहे थे वैसे ही आतंकवाद की शिकार बेनजीर भुट्टो और मलाला समेत तमाम पाकिस्तानी भी ट्वीट कर विंग कमांडर की सलामती और रिहाई की अपील कर रहे थे। वैसे आतंकी हमले और पाकिस्तान के साथ युद्ध सी स्थिति, सर्जिकल स्ट्राइक की घटनाएं चुनाव के आस-पास ही होना क्या महज संयोग है? दोनों ही मुल्क भूखों नंगों के मुल्क हैं राष्ट्र की संपत्ति युद्धोंमाद की बजाय सामाजिक कल्याण में खर्च हो तो दोनों का ही भला है। दोनों ही मुल्कों के शासक वर्गों को सद्बुद्धि की दुवा कि सियासी फायदे के लिए युद्धोंमाद न फैलाएं तथा इंसानियत की हिफाजत करें।

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