Wednesday, December 26, 2018

शिक्षा और ज्ञान 175 ( हम-तुम)

शिक्षित जाहिलों की इस मुल्क में एक प्रजाति ऐसी है जोवपूरे देश के; खास धार्मिक; जातीय या जनजातीय या ऐतिहासिक-क्षेत्रीय समुदाय की भावनाओं को किसी चमत्कारिक विधा से आत्मसात कर उनके प्रवक्ता बन अन्य समुदाय के किसी एक व्यक्ति या व्यक्तियों को पूरे समुदाय का प्रवक्ता बना सवाल-जवाब करते हैं। ऐसे ही एक सज्जन ने एक मुसलमान नामधारी व्यक्ति को संबोधित कर बोले कि 'दम तुम लोगों का सम्मान करते हैं और तुमलोग बकचोदी पेलते हो। एक बार एक हिंदुत्ववादी बड़े भाई अपने वामपंथी छोटे भाई से मुसलमानों की किसी प्रवृत्ति के बारे में बता रहे थे। उसने पूछा कि क्या वे सभी भाई एक से हैं? और कहा कि जब एक ही माहौल में पैदा हुए-बढ़े दो सगे भाई एक से नहीं हो सकते तो आप करोड़ों-लाखों लोगों को एक ही प्रवृत्ति की कोटि में कैसे बंद कर सकते हैं? ऐसे ही एक सज्जन ने एक मसलमान नामधारी को कहा कि वे उन लोगों की बहुत सम्मान करते हैं फिर भी वे लोग बकचोदी करते हैं, उस पर:

Peeyush Pandey ये तुम लोग कौन हैं और तुम लोग कौन हो?
किसका तुम सम्मान करतो हो कौन बकचोदी पेलता है?
तुम अपने सारे भाइयों के बदले बोल सकते हो?
पैतृक संपत्ति की हिस्सेदारी में उनके पिछवाड़े लाठी ठेल सकते हो
अपने सगे भाई के जब नहीं हो तो करोड़ों हिंदुओं के प्रवक्ता हो सकते हो?
पहले तो ये बताओ पांड़े जी तुम बाभन हो कि हिंदू?
तुम अगर हिंदू हो तो चमार कौन है?
है अगर हिंदू चमार भी, अपनी बहन क्या उससे व्याह सकते हो?
होते नहीं जब दो सगे भाई एक से करोड़ों को एक कोष्ठ में क्या ठेल सकते हो?
पहले बाभन से इंसान बनो, इंसानियत की बात तभी कर सकते हो।

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