Saturday, December 29, 2018

शिक्षा और ज्ञान 177 (जेंडर)

जेंडर (मर्दवाद) कोई जीववैज्ञानिक प्रवृत्ति नहीं है, न ही पाई (=22/7) के मान या प्रकाश की गति की तरह कोई सास्वत विचार है, जेंडर विचार नहीं, विचारधारा है जो हम नित्य-प्रति की जीवनचर्या और विमर्श में निर्मित-पुनर्निर्मित करते हैं। विचारधारा मिथ्याचेतना होती है जो एक खास मान्यता को अंतिम सत्य के रूप में प्रक्षेपित करती है। एक मिथ्या चेतना के रूप में विचारधारा उत्पीड़क को ही नहीं पीड़ित को भी प्रभावित करती है। मसलन यदि किसी लड़की को बेटा कह कर शाबासी दूं तो वह भी इसे शाबासी ही लेती है। अनजाने में ही हम दोनों विचारधारा के रूप जेंडर को पुष्ट और मजबूत करते हैं। मेरी बेटियों को कोई बेटा कहता है तो अकड़ तर कहती हैं, "एक्सक्यूज मी, आई डोन्ट टेक इट ऐज कॉम्लीमेंट"। इसीलिए स्त्री-पुरुष संबंधों में लड़की के दोष की मान्यता स्त्रियों में भी वैसे ही है जैसे पुरुषों में। न सिर्फ बलात्कारी सोचता है कि उसने लड़की को कलंकित कर दिया बल्कि बलत्कृत भी खुद को कलंकित समझती है। इसी लिए लड़ाई विचारधारा की है।

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