मधु दंडवते की बात चली तो एक और बात जो उनके बाद पूर्व गृहमंत्री इंद्रजीत गुप्ता में दिखी. 1977-78 में कभी जेयनयू में एक कार्यक्रम में बोलने आने वाले थे. ओल्ड कैंपस यल 3 में लेक्चर था. कुछ लोग स्वागत में गेट पर खड़े थे, जब वे बताने आए कि मंत्री जी अब तक नहीं आए तब तक वे मंच पर पहुंच चुके थे बिना किसी लाव-लस्कर के. खैर यह सरलता-सहजता उनकी पीढ़ी के लगभग सभी समाजवादियों, कम्युनिस्टों में थी. लेक्चर के बात कई असहज सवालों का ईमानदारी से जवाब दिया. यदि आप जनता के नेता हैं तो जनता से क्या खतरा?
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