हमने तो 13 साल की उम्र में जनेऊ तोड़कर समाज को ऊंच-नीच में बांटने वाली ब्राह्मणवादी संस्कृति का निषेध शुरू कर दिया था, महिलाएं और दलित शिक्षा के वर्जित क्षेत्र का अतिक्रमण कर उसका निषेध कर रहे हैं। जब शिक्षा पर एकाधिकार के जरिए ज्ञान पर ब्राह्मणवाद का वर्चस्व टूटने लगा तो शातिराना ढंग से उसने हिंदुत्व की खोल ओढ़ ली और अब राष्ट्रवाद बन गया है।
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