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गोलमोल तर्क स्ष्टता की बजाय भ्रमित ज्यादा करते हैं। ईश्वर ने श्रृष्टि की रचना नहीं की, वह ईश्वर के पहले से है। उसकी रचना श्रृष्टि के सदस्यों ने की। ईश्वर ने मनुष्य की रचना नहीं किया, मनुष्य ने ईश्वर की रचना की। ऐतिहासिक रूप से मनुष्य ईश्वर के बिना यानि उसके पहले से रहा है और ऐतिहासिक रूप से मनुष्य ने अपने खास ऐतिहासिक संदर्भ में अपनी खास ऐतिहासिक जरूरतों के अनुरूप अपने अपने ईश्वरों की रचना की और यही कारण है कि उसका स्वरूप और चरित्र देश-काल के अनुसार बदलता रहा है। पहले ईश्वर गरीब और असहायकी मदद करता था अब सामाजिक डार्विनवाद के तहत जो अपनी मदद कर सके उसकी यानि समर्थ की। अगर श्रृष्टि का रचइता कोई ईश्वर होता तो उसके विभिन्न स्वरूपों के भक्त आपस में खून-खराबा क्यों करेते? एक दूसरे के खिलाफ जहर क्यों उगलते? वह उन्हें रोक क्यों नहीं सकता।
Monday, April 8, 2024
शिक्षा और ज्ञान 353 (ईश्वर और मनुष्य)
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