अमूर्त सैद्धांतिक चिंतन (Thinking theoretically) ही अध्यात्म है। कुछ लोग अध्यात्म को धर्म के साथ उसी तरह गड्ड-मड्ड कर देते हैं जैसे संस्कृति को। सैद्धांतिक विज्ञान अध्यात्म है मूर्ति-पूजा नहीं। आध्यात्मिकता जब तक तार्किक रहती है विज्ञान के साथ उसका कोई अंतर्विरोध नहीं होता लेकिन आस्थापरक होते ही वह विज्ञान के विरुद्ध खड़ी हो जाती है। हर धर्म अवैज्ञानिक और अधोगामी होता है क्योकि वह आस्था की वेदी पर तर्क की बलि चढ़ा देता है।
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