सरकार की आलोचना पर सकारात्मकता का उपदेश देने वाले एक सज्जन के जवाब में संस्कारों की दुहाई देते उनके जवाब का जवाब।
Tuesday, April 26, 2022
शिक्षा और ज्ञान 354 (अनलर्निंग)
Monday, April 25, 2022
शिक्षा और ज्ञान 353 (एजेंडा)
पढ़े-लिखे और अपढ़ लोगों में फर्क के एक विमर्श में सज्जन ने लिखा, "एसे पढ़े-लिखों का क्या फायदा जो सिर्फ नकारात्मकता फैलाता हो और एक खास एजेंडे के लिए अपना पर दिमाग लगाता हो", उस पर:
Thursday, April 21, 2022
बेतरतीब 126 (नाम का अर्थ)
35-36 साल पुरानी बात हो गयी, किसी ने किसी से परिचय कराया, "यह ईश है", फिर थोड़ा ठहर कर बोला, "असली वाला नहीं"। मैंने पलटकर जवाब दिया, "वह होगा नकती, मैं तो असली वाला हूं, छूकर देख लो"। मेरे लिए तो नाम पहचान का एक कर्णप्रिय शब्द होना चाहिए, उसका क्या अर्थ है या नहीं है, इसका कोई मतलब नहीं।मैंने अपनी बेटियों के नाम ऐसे ही रखा, उनके अर्थ के बारे में सोचा ही नहीं, बाद में लोगों ने अन्य भाषाओं से उनके अर्थ बताया। नाम को अर्थ उसे धारण करने वाला देता है। फ्री-लांसिंग (बेरोजगारी) के दिनों में कभी किसी पत्रिका में अगर दो लेख छपते तो एक ही अंक में दो बाईलाइन अटपटा लगता और अपने लिखे का मोह भी नहीं जाता तो छोटे लेख के नीचे नाम के पहले और अंतिम शब्द के पहले अक्षर मिलाकर 'ईमि' लिख देता था। जब मेरी दूसरी बेटी पैदा हुई तोउसका नाम रखने में बहुत सोचा ही नहीं, ई का इ कर दिया और मि का मा तथा उसका नाम इमा रख दिया। जब मेरी नतिनी अपनी मां (मेरी बड़ी बेटी, मेहा) के पेट में थी तो इमा ने कहा, 'दीदी के बेबी के लिए हम लोगों सा कोई अच्छा सा नाम सोचो', मैंने कहा तुम लोगों का नाम तो बिना सोचे रख दिया था, वैसे ही इसका नाम "माटी" रख देते हैं'। उसने हंसकर कहा, 'बेटा हुआ तो ढेला', मैंने कहा कि तब सोचेंगे। लेकिन सोचना नहीं पड़ा, माटी ही आ गयी।
Tuesday, April 19, 2022
मार्क्सवाद 261 (अस्मितावाद)
अस्मितावाद की विभिन्न अभिव्यक्तिया सामाजिक चेतना के जनवादीकरण के रास्ते के सबसे बड़े गतिरोधक हैं। ये हैं -- ब्राह्मणवाद (वर्णाश्रमी जातिवाद, जिसकी राजनैतिक अभव्यक्ति हिंदुत्व है) और नवब्रह्मणवाद (जवाबी वर्णाश्रमी जातिवाद)। जन्म के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन ब्राह्मणवाद का मूलमंत्र है और ऐसा करने वाला असवर्ण नवब्राह्मणवादी है। ब्राह्मणवाद और नवब्राह्मणवाद एक दूसरे के विरोधी नहीं पूरक है। अस समय की जरूरत आर्थिक न्याय और सामाजिक न्याय के आंदोलनों की द्वंद्वात्मक एकता है -- जय भीम-- लाल सलाम। सांप्रदायिकता और जातिवाद का एक जवाब -- इंकिलाब जिंदाबाद।
Thursday, April 14, 2022
लल्ला पुराण 322 (मंहगाई और जनविद्रोह)
जनविद्रोह के चलते श्रीलंका की राजपक्षे सरकार के अवश्यंभावी पतन के संदर्भ में मैंने कर्ज से करकार बनाने-चलाने पर एक टिप्पणी की लेकिन किसी को वह मोदी की आलोचना लगी और प्रकारांतर से वामपंथी दुष्प्रचार का आरोप लगाने लगे। उस परः
लल्ला पुराण 321 (रंगभेद)
'नीबू बेचते-बेचते जामुन ने संतरा उड़ा लिया' कैप्सन के साथ गोरी लड़की और कोले लड़के की शादी की तस्वीर डाल कर उसका उपहास-परिहास करना किस मानसिकता का द्योतक है? और उस पर सरकारी का कमाल जैसे कमेंट? यदि लड़का भी गोरा होता तब भी आप लोगों के यही विचार होते? और यदि लड़का गोरा होता और लड़की काली तब? इसी रंगभेदवादी कुत्सित सोच को विचारधारा बनाकर यूरोपीय शासक वर्गों ने अफ्रीकी मूल के लोगों को गुलाम बनाया, भारत जैसे एशियाई देशों को गुलाम बनाकर लूटा। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी शासन और सोच के विरुद्ध नेल्सन मंडेला के नेतृत्व में लंबा आंदोलन चला। 1970-80 के दशक की अविजेय क्रिकेट टीम के लगभग सभी नायक काले ही थे। अफ्रीकी मूल के विवियन रिचर्ड की पत्नी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की अदाकारा नीना गुप्ता हैं। स्त्री को संतरा या सेब जैसा माल समझने की मर्दवादी वीभत्सता तो सभी समाजों में है। इस तरह की रंभेदी सोच को बढ़ावा देने की बजाय खत्म करने की जरूरत है।
Marxism 47 (Communism)
Some people go on making declarations of the end of communism like Fukuyama's declaration of the "End of History". Some posted that Communism is a dead ideology. To that --
Saturday, April 9, 2022
बेतरतीब 125
मैं, 21 साल की उम्र में, 1976 में, आपातकाल में भूमिगत रिहाइश की संभावनाएं तलाशते इलाहाबाद से दिल्ली आया और इलाहाबाद के एक सीनियर और ज्एनयू छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष डीपी त्रिपाठी (अब दिवंगत) को खोजते जेएनयू पहुंच गया। त्रिपाठी जी तो जेल में थे, इलाहाबाद के एक अन्य सीनियर, रमाशंकर सिंह से मुलाकात हो गयी, जिन्हें मैं इलाहाबाद में नहीं जानता था। उनके कमरे में रहने की जुगाड़ हो गयी। इस तरह मैं जेएनयू ज्वाइन करने के पहले ही जेएनयूआइट हो गया। रहने की जुगाड़ के बाद खाने (आजीीविका) की जुगाड़ करनी थी। कैंपस में स्कूल में पढ़ने वाले प्रोफेसरों के कुछ बच्चों से दोस्ती हो गयी, जिन्हें कभी कभी गणित पढ़ा देता था। प्रो. परिमल कुमार दास का बेटा पल्लव मेरा अच्छा दोस्त बन गया। वह उस समय कक्षा 10 में पढ़ता था। उसकी मां बहुत ही अच्छी व उसूलों वाली इंसान थीं। सरदार पटेल विद्यालय में पढ़ाती थीं। उन्हें मैं चाची जी कहता था तथा उनसे मिले स्नेह के लिए सदा आभारी रहूंगा। उनके बारे में कभी विस्तार से लिखूंगा। खैर पल्लव को औपचारिक रूप से ट्यूसन पढ़ाने लगा तथा गणित के ट्यूसन से आजीविका चलाने का फैसला किया।
यूटोपिया
15 वीं शताब्दी में कल्पना किया था थॉमस मूर ने
15 वीं शताब्दी में कल्पना किया था थॉमस मूर ने
जब राग-द्वेष से मुक्त गणतंत्र यूटोपिया का
Friday, April 8, 2022
शिक्षा और ज्ञान 352 (मैक्यावली)
मैक्यावली राज्य की आचारसंहिता को धर्म और नैतिकता की आचार संहिता से अलग करता है और विवाद की स्थिति में राज्य की आचार संहिताको तरजीह देता है क्योंकि वह राज्य की आचारसंहिता को सर्वोपरिमानता है। लेकिन धर्म को राज्य का प्रभावी उपकरण भी मानता है और राजा को सलाह देता है कि धार्मिक रीति-रिवाज तथा कर्मकांड कितने भी अतार्किक क्यों न हों राजा को न केवल उनसे छेड-छाड़ नहीं करना चाहिए बल्कि उनका अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि वे प्रजा को संगठित रूप से वफादार बनाए रखने में प्रभावी औजार हैं तथा भगवान का भय राजा के भय का रूप ले लेता है। राजा कितना भी फरेबी और अधार्मिक क्यों न हो लेकिनउसे हमेशा धर्मात्मा का अभिनय करना चाहिए। लोग भीड़ होते हैं और अभिनय को ही सच मान लेते हैं। कुछ लोग असलियत समझ जाएंगे लेकिन जब आमलोग उसके समर्थक हैं तो कुछ लोगों की कौन सुनेगा तथा उनकी आवाज आसानी से दबाई जा सकती है। हमारा मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य उसका ज्वलंत उदाहरण है।
सरहदें बांटती हैं दिलों को
सरहदें बांटती हैं दिलों को
मिटाकर सरहदें कितनी भव्य होगी दुनिया