Thursday, June 28, 2012

बहस के लिए बहस

tHIS IS A COMMENT ON A POST on FB Araun Jihind Anton Chekhov का एक बहुचर्चित उद्धरण है, "Art for art sake is crime", मेरे लिए बहस के लिए बहस एक अपराध है, बहस विमर्श के लिए होनी चाहिए. मैं शिक्षक और लेखक हूँ. किसी ऐसे विद्यार्थी के ऊपर समय नष्ट करना जो बिना पढ़े-लिखे पहले से ही विद्वान हो, अन्य विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा और समय की की बर्बादी. इसलिए आप जैसे ज्ञानियों के सवालों का जवाब देना मेरे जैसे साधारण शिक्षक के लिए संभव नहीं है. आप लगता है विज्ञान के विद्यार्थी रहे हैं क्योंकि इतनी अ(ति)वैयानिक सोच अक्सर विज्ञान के हेई विद्यार्थियों की होती है(मैं भी था, लेकिन मेरे ऊपर क्लारूम के बाहर विमर्शों का ज्यादा अजार पड गया) जो त्रासद और दुर्भाग्यपूर्ण है. एक शिक्षक के नाते जिन विषयों पर आप फैसलाकुन फतवे दे रहे हैं: न्क्सलवाद क्या है? नक्सल्बाडी की विरासत के कितने दावेदार हैं? कितने संसदीय राजनीति कर रहे हैं? कहाँ-कहाँ कितनी वसूली करते हैं, आपका एक कल्पित या वास्तविक आदिच्वासी, आदिवासियों का प्रतिनिधि है क्या? कौन से संविधान की रक्षा के लिए आदिवासी गाँव जलाए जा रहे हैं, बा�लात्कर और हत्याएं हो रही हैं? इस पर मैंने एक लिंखा था(see RADICAL ishmishra.blogspot.com) कम-से-कम अखबारी ख़बरें तो रखें. आपने चुन चुन कर विशेषण इस्तेमाल किये हैं क्या आपने अपने अंदर कभी झांका है कि पढाई करके किसी भी तरह(मैं जनता नहीं आप क्या करते हैं, लेकिन नौकरियों के लिए जोड़-तोड़ आम बात है) नौकरी हासिल करके खाने-जीने और बिना-पढ़े-लिखे वर्चल वर्ल्ड में लफ्फाजी के अलावा आपने जिस देश, समाज के प्रति वफादारी की कसमें खा रहे हैं, उनके लिए क्या किया है? चंद्र शेखर सीपीआई(माले)[लिबेरेसन]) का कार्यकर्ता था और ३ बार जवाहरलाल विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष रह चुका था. बहुत ही मेधावी छात्र था. अमेरिका में पी.एच.डी की छात्रवृत्ति को ठुख्राकर सिवान में लोगों को गुंडागर्दी के खिलाफ लामबंद करते हुए गुंडे सहाबुद्दीन के हाथों मारा गया. आज़ाद ने १९७४ में म.टेक. किया था किसी कार्प्रेसन में लाखों की पॅकेज के साथ अधिकारी होते. फुर्सत हो तो मेरे ब्लॉग में एक लंबी कविता पढ़ लें: Civility introduces Duality. इस पोस्ट पर यह मेरा अंतिम कमेन्ट है. मैं सीपीआई(माओवादी) का समर्थक नहीं हूँ लेकिन आग्रह है कि जो व्यक्ति सुख-सुविधा का कैरियर छोड़कर सर पर कफ़न बाँध कर लिकलते हैं, उनकी समझ से मतभेद हो सकता है लेकिन उनकी नीयत पर संदेह नहीं.

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