बहुतों को खुशफहमी होती है
खुद को भगवान समझ लेने की
लाइट हाउस के टिमटिमाती रोशनी को
सूरज बता देने की
एक अदना से पड़ाव को
मंजिल मान लेने की
ऐसे लोग दुर्वुद्धि के शिकार होते हैं
तरस आती है इन पर
जो आहंकार के बोझ तले दब जाते है.
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