धर्म और राजनैतिक अर्थशास्त्र के अंतःसंबंधों पर Mukesh Aseem की एक पोस्ट पर कमेंट:
राजनीति की धर्म से स्वतंत्रता के हिमायती, आधुनिक राजनैतिक दर्शन की बुनियाद रखने वाले, धार्मिक और राजनैतिक आचार--संहिताओं के किन्ही नियमों के अंतर्विोध की स्थिति में, धर्म पर राजनीति को तरजीह देने के हिमायती, यूरोपीय नवजागरण के दार्शनिक मैक्यावली धर्म, को सबसे प्रभावी राजनैतिक औजार और हथियार मानते हैं। नए समझदार राजा को वे सलाह देते हैं कि विजित प्रजा के धार्मिक रीति-रिवाज, प्रचलन और आस्थागत क्रियाकलाप कितनेे भी कुतार्किक और असामाजिक क्यों न हों,उसे न केवल उनसे छेड़-छाड़ नहीं करना चाहिए, बल्कि उनकी निरंतरता भी सुनिश्चित करना चाहिए, क्योोंकि कि धर्म लोगों को वफादार और एकजुट बनाए रखने का सबसे कारगर राजनैतिक हथियार है। सत्ताके लिए कुछ भी करे लेकिन उसे धर्मात्मा होने का पाखंड करना चाहिए, क्योंकि जनता भीड़ होती रहै, जो दिखता है उसे ही सच मानन लेती है। और यदि कुछ लोग सचमुच में सच जान भी लेंगे तो जब जनता साथ है तो इनकी क्या बिसात। जनता विद्रोह करने के पहले 10 बार सोचेगी कि भगवान ही उसके साथ है तो पराजय ही होगी। और धीरेधीरे भगवान का भय राजा के भय का रूप ले सकता है।
Wednesday, January 1, 2025
शिक्षा और ज्ञान 359 (धर्म और राजनीति)
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