Saturday, January 18, 2025

मार्क्सवाद 346 (क्रिस्टोफर कॉडवेल)

 मैंने क्रिस्टोफर कॉडवल की Illusion and Reality तथा Studies and further studies in a dying culture ही पढ़ी है, वह बी अंग्रेजी में। भगवान सिंह का अनुवाद, 'विभ्रम और यथार्थ' पढ़ने की कोशिस करूंगा, इस बहाने दुहराना हो जाएगा। छात्रों को स्वतंत्रता पढ़ाते समय Studies and further studies in a dying culture से स्वतंत्रता (लिबर्टी) से कई मिशालों का इस्तेमाल संदर्भांतरण के साथ करता था। उन्होंने तीन व्यक्तियों 'ए', 'बी' और 'सी' की मिशाल दी है, जो शब्दशः याद नहीं है। हिंदस्तानी संदर्भ रक कर कह सकते रहैं कि मानलीजिए 'ए' किसी विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर हैं। आरामदायक वेतन मिलता है, कुछ भक्तिभाव वाले छात्र हैं जो उन्हे विद्वान होने का एहसास (या विभ्रम) दिलाते रहते हैं। मन तो लुटियन दिल्ली में बाग-बगीचे के घर में रहने का है, वह तो नहीं, लेकिन इतना एचआपए मिलता है कि वसंतकुंज में एचआईजी फ्लैट में भी जीवन असुविधाजनक नहीं है। चाहते तो हैं कि छुटियां बिताने को मसूरी के आस-पास अपना कोई रिसॉर्ट हो लेकिन जब चाहें तब किराए पर किसी रिसॉर्ट में 10-15 दिन की छुट्टियों का आनंद ले ही सकते हैं। मन तो बीएमडब्लू का मालिक होने का है लेकिन इंस्टालमेंट में इन्नोवा पर चलने का सुख भी कम नहीं है। ए जी से पूछिये कि या वे स्वतंत्र हैं। उनका जवाब होगा "जाहिर है"। बी मान लीजिए किसी ढाबे पर काम करने वाला कोई छोटू या बहादुर है। उसकी सुबह दिन निकलने के पहले होती है और रात आखिरी ग्राहक के जाने के बाद। बचाखुचा भोजन और ढाबा बंद होने के बाद ढाबे की छत सुनिश्चत है। गांव से संस्कार में मिला उसका ज्ञान इतना ही है कि पिछले जन्म में बुरे कर्मों से उसके जैसे लोग अमानवीय हालात में बचपन से ही 10-12 घंटे की मजदूरी को अभिशप्त हैं। बिना शादी के सेक्स पाप होता है आदि। उसके मनोरंजन का साधन मालिक द्वारा ढाबे में लगाया टीवी है।उसके पास स्वतंतापरतंता पर सोचने का समय ही नहीं है। हां उसे हमेशा यह डर सताता है कि मालिक किसी बात पर नाराज हो कर उसे निकाल न दे और ढाबे की छत से निल कर आसमान की छत के नीचे न रहना पड़े। 'सी' एक पढ़े-लिखे बेरोगार प्रौढ़ हैं। वे कुछ भी कर सकते हैं, जो चाहे बोल सकते हैं, जो चाहें लिख सकते हैं, जहां चाहें जा सकता हैं। लेकिन हम सब जानते वे ऐसा कुछ नहीं करते। बेहतर जीवन जी रहे मित्रों परकुढ़ते हैं, घर वालों पर चिढ़चिड़ाते हैं जो उन्हें नाकारा समझते हैं। जिंजगी की जद्दो-जहद से ऊबकर एक शाम घर में अकेले होने पर वे कमरे के पंखे से लटक जाते हैं, जिसके लिए वे पूरी तरह स्वतंत्र। हैं वे पूछते हैं कि अब बताइए यदि ए महोदय स्वतंत्र हैं तो क्या बी और सी भी स्वतंत्र हैं? एक का जवाब होगा बिल्कुल नहीं। तो क्या बी और सी की परतंत्रता का ए की स्वतंत्रता से कोई संबंद्ध है? परतंत्र समाज में निजी स्वतंत्रता एक विभ्रम है। निजी स्वतंत्रता के लिए समादको स्वतंत्र करना होगा।


जब कोई साम्यवाद और जनतांत्रिक स्वतंत्रता के विरोधाभास की बात करता है तो मैं कॉडवेल का उदाहरण देता हूं। वे पक्के कम्युनिस्ट थे और अपने देश इंगलैंड में जनतांत्रिक स्वतंत्रता की हिमायत में कलम चलाते रहे और जब दूसरे देश स्पेन में जनतांत्रिक स्वतंत्रता पर फासीवादी खतरा आया तो कलम जेब में रखर बंदूक उठा लिया और फासीवाद से लड़ते हुए शहीद हुए। महान क्रांतिकारी बुद्धिजीवी की शहादत को सलाम।

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