किसी ने कहा कि बुद्ध के अहिंसा के उपदेश ने हिंदुओं को कायर बना दिया जिससे मुगल से लेकर अंग्रेज आक्रामक आकर यहां राज कर सके। उस पर:
भारत में बौद्ध विरोधी हिंसक अभियान दूसरी शताब्दी ईशा पूर्व (पिष्यमित्र शुंग) से शुरू होकर 8 वीं शताब्दी (शंकराचार्य) तक अपनी तार्किक परिणति तक पहुंच गया। मुगल 16वीं शताब्दी में आए और अंग्रेज 18वीं में। इतने लंबे समय तक हिंसक समुदाय बुद्ध के अहिंसक प्रभाव से नहीं उबर पाया और कायर बना रहा कि नादिरशाह जैसा चरवाहा 2000 घुड़सवारों के साथ पेशावर से बंगाल तक रौंदकर लूट-मार कर वापस चला जाता था? 2-4 हजार सैनिकों के साथ इंगलैंड के बनियों की एक कंपनी आई और इस विशाल मुल्क को 200 साल गुलाम बनाकर लूटती रही। 1857 में किसानों और सैनिकों के विद्रोह को हिंसक तरीके से कुचलने के प्रयास को भारत के अधिकांश रजवाड़ों ने हिंसक सहयोग दिया। आज देश का शासक वर्ग साम्राज्यवादी भूंडलीय पूंजी के सामने नतमस्तक है। जापान लगभग संपूर्ण रूप से बौद्ध देश है उसे कोई औपनिवेशिक ताकत गुलाम नहीं बना पायी न चीन को। जो समुदाय आत्मचिंतन और आत्मावलोकन नहीं करता अपनी पराजय का ठीकरा दूसरों पर फोड़ता रहता है, वह गुलाम बनने को अभिशप्त है, जिसकी सूक्ष्म मिशाल फेसबुक पर देखने के मिलती है। कई सवर्णवादी सामाजिक सरोकार के विषयों पर तार्किक विमर्श करने की बजाय वाम और लव जेहाद जैसे रटे भजन गाने में मगन रहते हैं। वैसे भी जिस संस्कृति में शस्त्र और शास्त्र का अधिकार चंद हाथों में सीमित हो तथा आबादी के बड़े हिस्से के पास कोई अधिकार ही न हों, उसे पराजित करना अपेक्षाकृत आसान था।
29.09.2020
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