बुद्ध का ईश्वर के अस्तित्व को नकारने और इंद्रियबोध से सत्य के ज्ञानयह विमर्श दीघ (दीर्घ) निकाय (संकलन) के 27 वें सूत्त अग्गना सूत्त से 5-6 सूत्त पहले किसी सूत्त में है, लाइब्रेरी खुलने के बाद ठीक-ठीक बता सकूंगा। राज्य की उत्पत्ति के बौद्ध (सामाजिक संविदा) सिद्धांत पर एक अध्याय लिखने के लिए अग्गना सूत्त पढ़ते हुए उक्त विमर्श पर निगाह पड़ी थी। अग्गना सूत्त में दो ब्राह्मण (भारद्वाज और वशेट्ठा) घर और कुल छोड़कर संघ के सदस्य बनने आए हैं और तमाम अन्य बातों के बाद विमर्श राज्य की उत्पत्ति पर केंद्रित हो जाती है। बुद्ध उन्हे बताते हैं कि कैसे कुछ बुरे लोगों के चलते प्रकृति (स्टेट ऑफ नेचर) का सामंजस्य टूट जाता है और दोषी को दंडित कर व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक सार्वजनिक शक्ति की आवश्यकता पड़ी। लोगों ने अपने में सबसे योग्य के साथ अनुबंध कर उसे महासम्मत (the great elect) चुना। उसे राजा भी कहा जाता था। राज्य की उत्पत्ति का बौद्ध सिद्धांत राज्य की उत्पत्ति के प्राचीनतम सिद्धांतों में से है। उससे पहले सामाजिक अनुबंध का सिद्धांत ऐत्रेय ब्राह्मण में मिलता है लेकिन वह पौराणिकता के लबादे में ढका है। अवश्यंभावी सुर-असुर युद्ध के लिए देवता (सुर) अपने में सबसे बलशाली एवं युद्ध में निपुण इंद्र से युद्ध के नेतृत्व का अनुबंध करते हैं। किताब सेज ने छापा है, कॉपीराइट की झंझट का पता कर शेयर करूंंगा।
24.09.2020
ज्ञानवर्धक सर. आभार.पुस्तक कैसे मिलेगी, बताइयेगा. नमस्कार
ReplyDeleteजी।
DeleteThis comment has been removed by the author.
Delete