Friday, July 15, 2022

मार्क्सवाद 270 (कम्युनिस्ट आंदोलन)

 Jogendra Sharma जी, वामपंथ की भूमिका और जिम्मेदारी पर आप के लेख की प्रतीक्षा रहेगी। कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर 1950 के दशक में चुनाव में भागीदारी की शुरुआती बहस में मुख्य तर्क चुनावी मंचों का इस्तेमाल जनवादी चेतना के प्रसार के माध्यम के रूप में करने का था, लेकिन व्यवहार में साधन ही साध्य बन गया। पश्चिम बंगाल सरकार के चरित्र और अन्य सरकारों के चरित्र में कोई गुणात्मक फर्क नहीं रह गया था। जनवादी चेतना का प्रसार ऐसा हुआ कि सीपीएम/वाम गठबंधन का संख्याबल भाजपा का संख्याबल बन गया। वही हाल हिंदी क्षेत्र के वाम संसदीय समर्थन आधार (संख्या बल) का हुआ। कम्युनिस्ट पार्टी का मुख्य काम राजनैतिक शिक्षा के द्वारा सामादिकचेतना के जनवादीकरण (वर्गचेतना के संचार) से चुनावी संख्याबल को जनबल में तब्दील करना था जिसमें वह नाकाम रही और संख्याबल को पार्टी लाइन के भक्तिभाव से हांकती रही, जिसे भाजपा अब धर्मोंमाद के भक्तिभाव से हांक रही है। मुझे याद नहीं है कि पिछले 40 सालों में सीपीैआई/सीपीएम ने किसी व्यापक जनांदोलन का नेतृत्व किया हो। (स्थानीय पार्टी नेतृत्व द्वारा पॉस्को के विरुद्ध विस्थापन विरोधी आंदोलन जैसे अपवादों को छोड़कर)। 1962 की सीपीआई की संसदीय शक्ति की तुलना में आज तीनों संसदीय पार्टियों की सम्मिलित संसदीय शक्ति उसका दशमांश भी नहीं है। सूचनाओं के अभाव में मार्क्स-एंगेल्स की एसियाटिक मोड की थियरी गलत हो सकती है लेकिन पार्टी गठन के 100 वर्षों में इस पर कोई समीक्षात्मक बहस हुई क्या? 1991 में राममंदिर के धर्मोंमादी आंदोलन के दौर में भी फैजाबाद से चुनाव जीतने वाले मित्रसेन यादव जैसे लोग जातिवादी संगठनों में क्यों चले गए? यूरोपीय संदर्भों से तुलना न भी की जाए तो सामाजिक चेतना के जनवादीकरण (वर्गचेतना के संचार) के लिए जाति/धर्म की जन्मजात अस्मिता की प्रवृत्तियों पर आधारित जातिवादी/सांप्रदायिक मिथ्या चेतनाओं से मुक्ति जरूरी है। मार्क्सवाद की एक प्रमुख अवधारणा है जिसे कम्युनिस्ट पार्टियों ने फ्रेम करवाकर फूल-माला चढ़ाने के लिए अपने दफ्तरों में टांग दिया है। भूमंडलीय राजनैतिक क्षितिज के हाशिओं पर सिमट गईं सभी देशों के कम्युनिस्ट नेतृत्व को अपने अपने ऐतिहासिक संदर्भों में मार्क्सवाद के पुनर्पाठ; वृहद् आत्मावलोकन तथा निर्मम आत्मालोचना की जरूरत है। कृपया इसे निंदा नहीं आत्मालोचना समझें।

1 comment:

  1. मैं आपकी टिप्पणी से सहमत हूँ। यह जबरदस्त विमर्श की मांग करती है

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