किसी ने कहा कि साम्यवाद का अंत हो गया है, फिर कहा कि साम्यवाद यूटोपिया हौ तथा किसी और ने कहा कि विज्ञान समझा जाने वाला मार्क्सवाद भी साम्यवाद का सपना वैसे ही दिखाता है, जैसे धर्म के ठेकेदार स्वर्ग का, उस पर:
साम्यवाद पूंजीवाद के बाद का ऐतिहासिक चरण है, जैसे पूंजीवाद सामंतवाद के बाद का। जो अस्तित्व में ही नहीं आया उसका अंत कैसे होगा? हां, पूंजीवाद का अंत अवश्यंभावी है, क्योंकि जिसका भी अस्तित्व है उसका अंत निश्चित है।
मानव मुक्ति का वर्गविहीन समाज भविष्य का समाज है, सामंतवाद से पूंजीवाद में संक्रमण का इतिहास 500 साल से पुराना है और अभी पूर्णता से दूर है, पूंजीवाद से साम्यवाद में संक्रमण का विचार ही 150 साल पुराना है। साम्यवाद पूंजीवाद की भविष्य की वैकल्पिक व्यवस्था है। सामंतवाद से पूंजीवाद का संक्रमण एक वर्ग समाज से दूरे वर्ग समाज में संक्रमण है, पूंजीवाद से साम्यवाद में संक्रमण गुणात्मक रूप से भिन्न एक वर्ग समाज से वर्गविहीन समाज में संक्रमण है। लेकिन होगा ही। जिसकै भी अस्तित्व है उकै अंत निश्चित है, पूंजीवाद अपवाद नहीीं है।
18वीं शताब्दी में जब रूसो ने राजा की जगह जनता के शासन की बात की तो लोगों ने ऐसा ही मजाक उड़ाया था, जैसा आप साम्यवाद का उड़ा रहे हैं। धर्म के ठेकेदार दैवीय चमत्कार के अंधविश्वास के आधार पर स्वर्ग का सपना दिखाता है, विज्ञान तथ्य-तर्कों और अन्वेषण तथा निर्माण के मानवीय क्षमताओं की संभावनाओं के आधार पर। हमारे छात्र जीवन में साइबर स्पेस की बात वैसी ही काल्पनिक लगती जैसा आपको वैज्ञानिक समाजवाद की धारणा लग रही है। हमारे बचपन में हमारे गांव में लड़कियों की उच्च शिक्षा के बारे में भी ऐसी ही बातें होती थीं। 1982 में अपनी बहन की शिक्षा के लिए मुझे पूरे खानदान से महाभारत करनी पड़ी थी।
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