Sunday, December 26, 2021

शिक्षा और ज्ञान 338 (धर्म-संस्कृति)

 कुछ लोग बात-बेबात सनातन की दुहाई देते हैं खासकर धर्मनिरपेक्ष मान्तायताओं को गाली देने के लिए, लेकिन वे स्पष्ट नहीं करते कि सनातन से वे क्या समझते हैं, पूछने पर, वैसे ही आंय-बांय करते हैं जैसे वाम शब्द के दौरे से पीड़ा का अनवरत विलाप करने वाले, वाम क्या है के सवाल पर।


ये धर्म और संस्कृति का इस्तेमाल साथ-साथ ऐसा करते हैं जैसे दोनों एक ही हों। जबकि धर्म का संबंध ईश्वर की अलौकिक शक्ति से है। विभिन्न धर्मावलंबी अपने अपने ईश्वर को श्रृष्टि का रचइता मानते हैं।

हर ऐतिहासिक समुदाय अपने अपने ऐतिहासिक संदर्भ और बदलती देश-काल की परिस्थियों में अपनी भाषा, मुहावरे, रीति-रिवाज, ईश्वर और उसके निलय (धर्म) का निर्माण करता है जिसका स्वरूप और चरित्र देश-काल के अनुसार बदलता है। संस्कृति का संबंध मनुष्य के आचार-विचार तथा मान्यताओं के विकासक्रम से है।

धर्म की परिभाषा भगवान या भगवानों में आस्था के रूप में की जा सकती है; यह भगवान या भगवानों की पूजा-अर्चना के नियमों, कर्मठों और कर्मकांडों की एक प्रणाली है। जबकि संस्कृति शब्द को एक पूरे सामाजिक समुदाय की जीवन शैली और सामाजिक मान्यताओं के रूपमें की जा सकती है। गौरतलब है कि ऐसे सामाजिक समुदाय में विभिन्न धर्मावलंबी तथा अधार्मिक एवं नास्तिक भी हो सकते हैं। संस्कृति की गुणवत्ता का निर्धारण समुदाय के लोगों की रचनात्मक रुचि, इंसानियत की समझ तथा विश्वदृष्टिकोण एवं नैतिक मान्यताओं, तथा सामाजिक संबंधों, प्रवृत्तियों तथा सामूहिक उद्देश्यों और रीति-रिवाजों से होता है।

जारी.....

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