Sunday, November 4, 2018

नतिनियों के सवाल

आने वाली नस्लें करेंगीा सवाल
तुम क्या रप रहे थे जब मुल्क हो रहा था बर्बाद?
चंगू-मंगू कर रहे थे जब मुल्क धनपशुओं के हवाले
छीन रहे थे उनके लिए जब वे मेहनतकश के नवाले
मर रही थीं सोनाएं जब भात भात चिल्लाते
शर्म नहीं आई तुमको हत्यारे-बलात्कारियों को ताज पहनाते?
मांगेंगी हमारी नतिनियां हर सवाल का जवाब
करेंगी हमको जब वे हर सवाल पर बेजवाब
और बताएंगी चुल्लू भर पानी का प्रताप
खोजे नहीं मिलेगा डूबने को चुल्लू भर पानी
काबिज होगें उस पर अंबानी और अडानी
लेकिन उनमें होगा जीने का एक नया जज्बा
खाक कर देंगी जल-जंगल-जमीन पर धनपशुओं का कब्जा
शुरू होगा मानवता का नया अभियान
मुक्त होगें तब खेत और खलिहान
नहीं करेगा खुदकुशी कोई भी किसान
छिपने की जगह न पाएंगे धनपशुओं के जरखरीद गुलाम
किया नहीं ग़र उनने अपना अंत हिटलर समान
देगी जनता उन्हें मुसोलिनी सा सम्मान।

(बहुत दिनों बाद सुबह-सुबह कलम की छोटी सी आवारगी)
(ईमि: 05.10.2018)

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