मोदी ने बागडोर संभालते ही भारत की संवैधानिक संस्थानों पर हमला शुरू कर दिया। योजना आयोग को नीति आयोग में बदल दिया; रिजर्व बैंक में राजन को हटाकर गुजरात से ले आकर अपने एक पट्टाधारी उर्जित पटेल को बैठा दिया जिसने नोटबंदी जैसे बेहूदे तुगलकी फरमान पर आंख मंद कर अंगूठा लगा दिया। 99 लात खाने के बाद 100वें घातक लात खाने से इंकार कर दिया, जिसकी बिल्ली उसी से में-में? संघी भोंपू चिल्ला रहे हैं कि अगर केंद्रीय बैंक के गवर्नर सरकार की वफादारी से इंकार करें तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। मुझे बिके जमीर के इस पटेल से कोई हमदर्दी नहीं है, चिंता बैंक की स्वायत्ता के विनाश से होने वाले आर्थिक अराकता की है। सुप्रीम कोर्ट को वफादार बनाने के प्रयासों तथा दीपक मिश्र के कार्यकाल के क्लीनचिटिया फैसलों की बात की गुंजाइश नहीं है। गुजरात प्रकरण की जांच करने वाले, भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अस्थाना को स्पेसल डायरेक्टर बना दिया, सीबीआई पर हमले का मामला सुप्रीम कोर्ट में है..............
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