जी सही कह रहे हैं, वर्गों के विनाश हुए बिना जाति खत्म नहीं हो सकती। लंबी प्रक्रिया है, मानव मुक्ति की उस मजिल तक की यात्रा की। वर्गों का विनाश सर्वहारा क्रांति से होगा लेकिन वर्गचेतना से लैस और वर्ग हित के आधार पर संगठित होकर ही मजदूर क्रांति कर सकता है। वरना वह एक दिशाहीन भीड़ होकर रह गया है। सांप्रदायिक उन्माद फैलाने में तथा मॉबलिंचिंग में लंपट सर्वहारा की भूमिका अहम् होती है। वर्ग चेतना के प्रसार के लिए जरूरी है जातिवादी मिथ्या चेतना से मुक्ति, जातियों में विभाजित सर्वहारा में एकता मुश्किल है। सामाजिक न्याय और आर्थिक न्याय के संघर्ष एक साथ हों। जातिविनाश बिना क्रांति नहीं, क्रांति के बिना जातिविनाश नहीं। जयभीम-लाल सलाम एक प्रतीकात्मक नारा है।
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