नीतीश कुमार द्वारा, जबरन एक स्त्री डॉक्टर का हिजाब उतारने की आलोचना की एक पोस्ट पर एक सज्जन ने लिखा कि हिजाब पहनना उसका अधिकार नहीं बल्कुि माइंड वाशिंग या मेंटल कंडीशनिंग है। उस पर --
बिल्कुल सही कह रहे हैं, यह वैसी ही माइंड वाशिंग है, जैसे करवा चौथ या नवरात्र का व्रत रखना या खुशी-खुशी कन्यादान के अनुष्ठान से दान की वस्तु बन जाना या हिंदू अथवा मुस्लिम होने पर गर्व करना। लेकिन यह पोलिटिकल नहीं कल्चरल कंडीशनिंग है इसका निदान जोर जबरदस्ती करवा चौथ पर पाबंदी लगाना नहीं सांस्कृतिक चेतना बदलना है जिससे स्त्रियां करवाचौथ का व्रत रखने का मर्दवादी निहितार्थ समझ सकें और खुद उसका परित्याग कर सकें। ज्यादातर मुस्लिम छात्राएं हिजाब नहीं पहनतीं। इरान में हिजाब के विरुद्ध जबरदस्त आंदोलन चला। मैंने उस समय हिजाब के विरुद्ध इरानी स्त्रियों के आंदोलन का समर्थन किया था और साथ ही हिंदुस्तान के कुछ संस्थानों में हिजाब पर पाबंदी के विकुद्ध स्त्रियों के आंदोलन का भी। हर किसी को अपना भोजन-वस्त्र चुनने की आजादी होनी चाहिए। आजादी की समझ पर भी सामाजिक चेतना का दबाव होता है तो निदान आजादी पर प्रतिबंध नहीं, सामाजिक चेतना का जनवादीकरण है।
Wednesday, December 17, 2025
शिक्षा और ज्ञान 383 (हिजाब)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)

No comments:
Post a Comment