स्कूल हम लोग खेलते-कूदते खुराफात मचाते जाते थे। रामनगर के एक जमींदार थे घोड़ सिंह। उनका नाम राधाधीन सिंह था,लकिन वे गालियां मां-बहन-बेटियों का घोड़े से रिश्ता जोड़कर देते थे। धमाचौकड़ी मचाते स्कूल जाते बच्चों को देखकर वेदूर से ही गाली देते थे, ‘तेली-तमोली-भर-बांगर क लड़िका एक तौ पढ़ै के न चाही, पढ़ै जइहें तो खुराफात मचैहेंट तरी बेटी क घोड़……’। इसलिए उन्हें सब घोड़ सिंह कहने लगे। जातीय श्रेष्ठतावाद एक सामाजिक सच्चाई थी,लेकिन प्रतिरोध की संस्कृति भी शुरू हो गयी थी। शिक्षा की सार्वभौमिक सुलभता औपनिवेशिक शिक्षा नीति का एक सकारात्मकउपपरिणाम है। गैर द्विज शूद्र जातियों के लड़के भी पढ़ने लगे थे। स्कूल कॉलेजों में लड़कियोंकी संख्या नगण्य थी। हमारी क्लास में पांडेय जी के खानदान की दो लड़कियां थीं और दूर के एक गांव, भुलेसरा की एक ही लड़की स्कूल आती थी। अब लगता है कि कि कितनी साहसी लड़की थी, भुलेसरा भी स्कूल से 6-7लकिमी दूर था। अगर समकोण त्रिभुज के माध्यम से भौगोलिक स्थिति का वर्णन करें तो हमारा गांव स्कूल से कर्ण की दूरी पर था तो भुलेसरा लंबवत भुजा की। उसका नाम विद्यावती था। हम कभी नजदीक की बाजार होते घर जाते तो भुलेसरा के बच्चे भी मिल्कीपुर तक साथ ही जाते थे, वहां से हमारा गांव 3-4 किमी दूर था। मिडिल स्कूल के एक ही सहपाठी, राधेमोहन सिंह से अभी तक संपर्क है, उनका गांव भुलेसरा के पास भरचकिया है। राष्ट्रीयसहारा में प्रूफ रीडर की नौकरी से रिटायर होकर हो गांव में रहतते हैं। बासूपुर एक जमींदार परिवार के भोले (देवेंद्र पांडे) से गांव जाने पर एकाध बार मलाकात हो गयी। बासूपुर और लग्गूपुर के पांडेय परिवार एक ही कुल के हैं। स्कूल के हमारे एक सीनियर अभिमन्यु सिंह गांव जाने पर कभी कभी मिलते थे, प्राइमरी में शिक्षक थे, कुछ साल पहले उका निधन हो गया। स्कूल के सहयात्रियों में एकाध दलित और कुछ अन्य पिछड़ी जातियों (अब के ओबीसी) के लड़के भी थे उनमें जयहिंद राजभर काफी वाचाल थे। औपनिवेशिक शिक्षा नीति का एक सकारात्मक उपपरिणाम है शिक्षा की सार्वजनिक सुलभता, जो 1980-90 के दशक तक व्यवहार में भी दिखने लगी। तथाकथित छोटी जातियों को भी सैद्धांतिक रूप से शिक्षा की सुविधा उपलब्ध थी। फीस नाममात्र की थी – जहां तक मुझे याद है, प्राइमरी में 2 पैसा, मिडिल स्कूल में 2 आने थी तथा हाई स्कूल और इंटर में 2 रुपया 2 आना। इस तरह स्कूल की पढ़ाई हम लगों ने लगभग मुफ्त में की।
Wednesday, December 3, 2025
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