Wednesday, October 23, 2024

बेतरतीब 187 (अदम)

 Dinesh Dubey शुक्रिया, दिनेश भाई। अदम की मौत के बाद साहित्य जगत के बहुत से लोग उनके व्यक्तित्व पर फतवेाजी कर रहे थे, भावुकता में लिखा गया था, इसके बाद प्रतिरोध के स्वर के लिए, एक और लेख लिखा था। जब भी दिल्ली आते मुलाकात और बैठकी होती थी। आखिरी कुछ सालों में हमारी मित्रता हुत सघन हो गयी थी, लगभग रोज ही फोन पर बात होती। उनके गांव जाने का कार्यक्रम टलता रहा। अप्रैल, 2011 में एक बार उनके सम्मान में हिंदू कॉलेज में, इतिहासकार प्रो. डीएन झा की अध्यक्षता में , प्रो, रतनलाल के सौजन्य से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। तब 23 दिन वहीं रुके थे। उन्होंने पद्य में ऐतिहासिक भौतिकवाद पर पुस्तिका लिखने को कहा था। पहला खं तो तभी लिखा गया था। दूसरे खंड के लिए बैठ नहीं पाया।

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