यह एक कम पढ़े लिखे इंसान की कहानी है
जो शरीर और मन से हुत कमजोर थालेकिन लफ्फाजी और नौटंकी में उसका बहुत जोर था
वह झूठ बहुत इत्मिनान से बोलता था
रो रो कर देश की कसमें खाता और चिल्लाता था
नराधम के साथ बहुत बड़ा हरामखोर तथा चंदाचोर था
वह जर्मनी का बाशिंदा था, नाम था उसका हिटलर
विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार हुई थी जमकर
उसने सोचा उठाएगा वह फायदा वह इस विपदा का जमकर
हुआ वह उस पार्टी में शामिल नाम था जिसका राष्ट्रवादी समाजवादी
नेता थे जिसके सब बुजुर्ग और माली हालत थी जर्जर
धिवशुओं की दलाली से उसने जमा किया खूब चंदा
लफ्फाजी से बन गया वह पार्टी का नायाब नुमाइंदा
किया बुजुर्गनेताओं को शातिरपने से दरकिनार
डाल दिए जिन्होंने आसानी से हथियार
उठाकर फायदा विपक्ष के आपसी रंजिश का
बन गया वह जर्मनी का चांसलर
लगवाया उसने नारे हेल हिटलर
लगवाकर आग संसद में आरोप लगाया विपक्षियों पर
और ठूंस दिया उन्हें जेल के अंदर
फैलाया उसने नफरत अल्पसंख्यकों के धर्म के खिलाफ
धनपशुओं की मदद से उसने किया अपना खूब प्रचार
लगवाकर संसद में आग
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