Saturday, December 2, 2023

किसान आंदोलन

 ठंड बढ़ने के साथ किसानों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है दिल्ली की सिंधुसीमा पर हरयाणा में लाखों किसान जमे हैं उनकी तादात बढ़ती जा रही है। गाजीपुर सीमा पर उप्र में भी हजारों किसान कमर कसकर जुटते जा रहे हैं। किसान जीतेगा तो देश जीतेगा और जीतेगा ही क्योंकि हारने पर मुल्क पर विश्वबैंक की वफादारी में मुल्क पर नवउदारवादी पूंजी की गुलामी का शिकंजा कस जाएगा और आजादी की भीषण लड़ाई छिड़ जाएगी और तब जोआजादी आएगी उसमें अगली किसी गुलामी की गुंजाइश नहीं रहेगी। लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है कि किसान जीतेगा क्योंकि इतिहास को इसकी जरूरत है। नवउदारवादी भूमंडलीय साम्राज्यवाद उदारवादी औपनिवेशिक साम्राज्यवाद से इस मायने में अलग है कि अब किसी लॉर्ड क्लाइव की जरूरत नहीं है, सारे सिराजुद्दौला भी मीर जाफर बन चुके हैं।

जय किसान, इंकलाब जिंदाबाद।

03.12.2020

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