स्त्रियों की बहादुरी को मर्दानगी कहना मर्दवादी मानसिकता की अभिव्यक्ति है। मर्दवाद जीववैज्ञानिक प्रवृत्ति नहीं विचार धारा है जिसे हम रोजमर्रा के जीवन और विमर्श में निर्मित-पुनर्निर्मित और पुष्ट करते हैं। विचारधारा न सिर्फ उत्पीड़क को प्रभावित करती है बल्कि पीड़ित को भी। लड़की को जब हम बेटा की साबाशी देते हैं तो वह भी उसे साबाशी ही के ही रूप में लेती है। ऐसा करके हम दोनों ही अनजाने में बेटी होने की तुलना में बेटा होने की श्रेष्ठता बताकर कर अनचाहे ही मर्दवाद की विचारधारा को पुष्ट करते हैं। मेरी बेटियां बेटा कहने पर कहती हैं, Excuse me I don't take it as complement. कई साल पहले मेरी बड़ी बेटी अपनी पहली तनख्वाह में से अपनी मां को 1000 पॉकेटमनी कहकर दिया। सरोज जी ने भावुकतामें कह दिया कि मेहा तो मेरा बेटा है, उसने पैसा वापस लेते हुए बोला कि जाओ बेटे से लो। उनके सॉरी बोलने पर लौटा दिया। मैं कभी किसी लड़की को बेटा कहकर साबाशी नहीं देता।
04.05,2021
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