यह किसान आंदोलन एक ऐतिहासिक आंदोलन है, लंबा चलेगा, फैलेगा, बिहार और महाराष्ट्र तक पहुंच गया है। अब यह राष्ट्रव्यापी बनेगा। सरकार के साथ किसान नेताओं की वार्ता सफल नहीं हो सकती क्योंकि मोदी खेती के कॉरपोरेटीकरण के विश्वबैंक के मसौदे पर अंगूठा लगा चुके हैं, साम्रज्यवाद की वफादारी तोड़ने की उनकी सामर्थ्य नहीं है। अर्थशास्त्रियों का विश्व बैंक का एक पालतू गिरोह है -- नया राजनैतिक अर्थशास्त्र समूह -- जिनका काम तीसरी दुनिया में स्ट्रक्चरल एडजस्टमेंट प्रोग्राम (एसएपी) लागू करवाना है। उनका मानना है इसके लिए जनप्रतिरोध का निर्मम दमन जरूरी है, इससे सरकार की विश्वसनीयता घटेगी। उसे हटाकर दूसरी बैठा दो। मनमोहन को हटाकर मोदी, मोदी को हटाकर दूसरा मोहरा। उनका मानना है कि तीसरी दुनिया के राजनीतिज्ञ कुर्सी से चिपके रहने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, इसलिए उन्हें खरीद लो। 'अच्छे लोगों' की पीठ से 'बुरी सरकार का लात' हटाने के लिए उसे खरीद लो।
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