मित्रों, जे.पी. नरेला ने मेरे सरनेम को मेरे विचारों और संघर्षों पर वरीयता देते हुए, मुझे लगभग ब्राह्मणवादी घोषित कर दिया, उनके आरोपों के जवाब में मैं अपना कमेन्ट यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ.
अब मैं वापस दलित जाती में तो पैदा नहीं हो सकता. मार्क्सवाद का एक प्रमुख सिद्धांत है, प्रैक्सिस का सिद्धांत जो कथनी-करनी की एका का हिमायती है. अब आप मुझे जानते नहीं तो कैसे विश्वास दिलाऊँ कि वर्नाश्रम्वाद की विसंगातिओं पर लगातार प्रहार करता रहा हूँ और मंडल विरोधी आंदोलन उन्माद के दौरान स्पष्ट स्टैंड लेने के लिए नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. आपकी बातों से एक मंडल विरोधी "विद्वान" की याद आती है. आपकी और उनकी समझ में विलोमता सक्मझ की एकता दर्शाता है. सभी धर्म, स्वभावतः प्रतिगामी होते हैं, हिन्दू धर्म, सर्वाधिक. अन्य धर्मों में समानता की कम-से-कम सैद्धांतिक गुंजाइश होती है, हिन्दू धर्म में वाह भी नहीं. आप पैदा ही असक्मान होते हैं, और उन सज्जन और आप जैसे लोग, biological accident से मिली अस्मिता से निकलने की संभावनाओं को सिरे वसे नकार देते हैं. अगर मेरे नाम के साथ मिश्र न लगा होता तो आपकी प्रतिक्रिया कुछ और होती. दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक्संघ की सभा में मंडल-विरोधी उन्माद के विरुद्ध मैं मक्नुवाद-विरोधी नारे लगा रहा था. सभा के बाद चाय पीते हुए सोने की सीकड़ स्वे सुसज्जित उन प्रोफ़ेसर महोदय ने पूछा, "What is your name, by the way"? मैंने कहा, "Not by the way, my name is Ish Mishra" . उन्होंने फिर पूछा, "Mishras are brahmins, I believe, but you were shouting slogans against anti-Mandal?". i told "You are right, I would continue doing that but that is beyond your "anti-caste" casteism". ब्राह्मण मुझे अन्त्यज मानते हैं अब अगर आप मुझे ब्राह्मण मानें तो इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता. बल्कि बाहट से पढ़े लिखे दलित नव-ब्राह्मणों जैसा व्यवहार करते हैं, वे आपको स्व्वेकरी हैं, मायावाती ब्रक़ह्मन और विषय सभ्हएं करती है, उससे आपको कोई परेशानी नहीं होगी. आपसे आग्रह किया था, नीचे की पोस्ट पर आप मेरा खंड-काव्य पढ़ें, लेकिन आप तो जिद पे अड़े हैं कि नाम पढ़ कर ही राय बनायेंगे. दलित महिलाओं के ऊपर सर्वाधिक अत्याचार मायावती के राज में हुआ और बहुत से मामलों मे बसपा के नेता/मंत्री/विधायक/पोषित-अधिकारी, पुलिस-कर्मी दोषी रहे हैं, उससे भी शायद आपको परेशानी नहीं होगी? मायावती के लिए लूट का इंतज़ाम शशांक शेखर और सतीश मिश्र करते हैं, इससे भी आपको परेशानी नहीं होगी?? जौनपुर में दलित उम्मीदवार की हत्या मायावती के मुंहबोले बाहुबली धनञ्जय सिंह ने करवाई और बहुजन समाज ने उस अपराधी को कवच प्रदकान किया, उससे भी आपको परेशानी नहीं होगी?? उसके तमाम मंत्री अराध-लूट के मक़मले में दोषी पाए गए कुछ को उसने कार्य-काल समाप्ति के आस-पास चुनाव के पहले निकालने का ढोंग किया और जरूरत पडी तप चुनाव के बाद फिर उन्हें अपना लेगी इससे भी आपको शायद ही पेशानी नहीं होगी??? मित्र नव-मनुवाक़दी माइंड-सेट से निकालें और चीजों को समग्रता में समझने की कोशिस करें. एक इंसान जिसने जीवनभर ब्राह्मणवाद के खिलाफ संघर्ष किया हो उसे ब्राह्मण की गाली कितनी खलेगी उसे आप नहीं समझ सकते उसी तरह जैसे चतुर्वेदी जी दलित होने पीड़ा नहीं समझ सकते. प्रणाम. मैं अब इस बहस से विदा लेता हूँ.
अब मैं वापस दलित जाती में तो पैदा नहीं हो सकता. मार्क्सवाद का एक प्रमुख सिद्धांत है, प्रैक्सिस का सिद्धांत जो कथनी-करनी की एका का हिमायती है. अब आप मुझे जानते नहीं तो कैसे विश्वास दिलाऊँ कि वर्नाश्रम्वाद की विसंगातिओं पर लगातार प्रहार करता रहा हूँ और मंडल विरोधी आंदोलन उन्माद के दौरान स्पष्ट स्टैंड लेने के लिए नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. आपकी बातों से एक मंडल विरोधी "विद्वान" की याद आती है. आपकी और उनकी समझ में विलोमता सक्मझ की एकता दर्शाता है. सभी धर्म, स्वभावतः प्रतिगामी होते हैं, हिन्दू धर्म, सर्वाधिक. अन्य धर्मों में समानता की कम-से-कम सैद्धांतिक गुंजाइश होती है, हिन्दू धर्म में वाह भी नहीं. आप पैदा ही असक्मान होते हैं, और उन सज्जन और आप जैसे लोग, biological accident से मिली अस्मिता से निकलने की संभावनाओं को सिरे वसे नकार देते हैं. अगर मेरे नाम के साथ मिश्र न लगा होता तो आपकी प्रतिक्रिया कुछ और होती. दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक्संघ की सभा में मंडल-विरोधी उन्माद के विरुद्ध मैं मक्नुवाद-विरोधी नारे लगा रहा था. सभा के बाद चाय पीते हुए सोने की सीकड़ स्वे सुसज्जित उन प्रोफ़ेसर महोदय ने पूछा, "What is your name, by the way"? मैंने कहा, "Not by the way, my name is Ish Mishra" . उन्होंने फिर पूछा, "Mishras are brahmins, I believe, but you were shouting slogans against anti-Mandal?". i told "You are right, I would continue doing that but that is beyond your "anti-caste" casteism". ब्राह्मण मुझे अन्त्यज मानते हैं अब अगर आप मुझे ब्राह्मण मानें तो इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता. बल्कि बाहट से पढ़े लिखे दलित नव-ब्राह्मणों जैसा व्यवहार करते हैं, वे आपको स्व्वेकरी हैं, मायावाती ब्रक़ह्मन और विषय सभ्हएं करती है, उससे आपको कोई परेशानी नहीं होगी. आपसे आग्रह किया था, नीचे की पोस्ट पर आप मेरा खंड-काव्य पढ़ें, लेकिन आप तो जिद पे अड़े हैं कि नाम पढ़ कर ही राय बनायेंगे. दलित महिलाओं के ऊपर सर्वाधिक अत्याचार मायावती के राज में हुआ और बहुत से मामलों मे बसपा के नेता/मंत्री/विधायक/पोषित-अधिकारी, पुलिस-कर्मी दोषी रहे हैं, उससे भी शायद आपको परेशानी नहीं होगी? मायावती के लिए लूट का इंतज़ाम शशांक शेखर और सतीश मिश्र करते हैं, इससे भी आपको परेशानी नहीं होगी?? जौनपुर में दलित उम्मीदवार की हत्या मायावती के मुंहबोले बाहुबली धनञ्जय सिंह ने करवाई और बहुजन समाज ने उस अपराधी को कवच प्रदकान किया, उससे भी आपको परेशानी नहीं होगी?? उसके तमाम मंत्री अराध-लूट के मक़मले में दोषी पाए गए कुछ को उसने कार्य-काल समाप्ति के आस-पास चुनाव के पहले निकालने का ढोंग किया और जरूरत पडी तप चुनाव के बाद फिर उन्हें अपना लेगी इससे भी आपको शायद ही पेशानी नहीं होगी??? मित्र नव-मनुवाक़दी माइंड-सेट से निकालें और चीजों को समग्रता में समझने की कोशिस करें. एक इंसान जिसने जीवनभर ब्राह्मणवाद के खिलाफ संघर्ष किया हो उसे ब्राह्मण की गाली कितनी खलेगी उसे आप नहीं समझ सकते उसी तरह जैसे चतुर्वेदी जी दलित होने पीड़ा नहीं समझ सकते. प्रणाम. मैं अब इस बहस से विदा लेता हूँ.
No comments:
Post a Comment