Friday, May 13, 2011

जनतंत्र की रानी

जनतंत्र की रानी
ईश मिश्र
आओ बच्चों सुनो कहानी
बात नहीं है अभी पुरानी
इसी देश में एक है रानी
बहुत सयानी; बहुत सयानी
नहीं उसका ये हक खानदानी
वह तो है जनतंत्र की रानी
दलित-चेतना का जब उफान हुआ
इसने अच्छे से पहचान लिया
हो हाथी पर सवार, मनुवाद को ललकारती है
मनुवादिओ के साथ मिल-बाँट मलाई खाती है
जन हित में उसने नहीं बसायाघर-परिवार
फिर भी जोड़े जा रही है संपत्ति अपरम्पार
दावे करती है दलितों की रहनुमाई का
कत्ल करती हैं किसान, ध्यान रखती हैं जेपी की कमाई का
आसमान छूने लगे आँकड़े, दलितों की पिटाई का
जब भी महल से बाहर आती है
आगे-पीछे; दाएँ-बाएँ;
ब्लैक कैट से घिरी रहती है
ऊपर-नीचे; आगे-पीछे; दाएँ-बाएँ;
जिधर भी करती है दृष्टिपात
लगता चल रही है दर्पण लेकर साथ
जनता भी समझने लगी राज़ लोक्तंतंत्र की रानी का
खत्म कर देगी ज़माना राजा-रानी की कहानी का
करेगी वह नए युग की शुरुआत
तब भी नहीं होगी यह बहुत पुरानी बात
[ईमि/14.05.20011]

3 comments:

  1. अभी यहाँ निशाना साधने लगेंगे तो यहाँ भी कांग्रेस-बीजेपी वाले रानी और राजा सत्ता कब्जिया लेंगे. ये लोग केन्द्र से दक्षिणपंथ हटाने में मददगार ही हैं...

    ReplyDelete
  2. निशाना हर तरह के अधिनायकवाद और दक्शिण्पंथ पर साधना है..सब मौसेरे भाई हैं. इनकी नकली लड़ाई जनता का ध्यान बाँटने के लिए है..

    ReplyDelete