प्यार
ईश मिश्र
होते हैं जो रिश्ते जिश्म के जज्बात के
उड जाते हैं वे चक्रवात के आघात से
बनते हैं रिश्ते जो वैचारिक संवाद से
टूट नही सकते कैसे भी कुठाराघात से
जानबूझ कर हार जाना समर्पण का मर्म है
उसको तोडना ही सच्चे प्यार का धर्म है
[ईमि/15.05.2011]
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