मैक्यावली का शहजादा
न तो खानदानी है और न ही दैविक
वह एक साधारण परिवार से आकर
अपनी सूझबूझ और छल-कपट से
सत्ता हासिल करता है
तथा हर दांव-पेच हेराफेरी
और हर तरह की तिकड़म
और धर्मात्मा के आडंबर की धूर्तता से
सत्ता बरकरार रखता है
वह जनता को भीड़ समझता है
जो दिखावे को सच मानती है
वह चाहता है कि लोग उससे डरते रहें
वह कैलीगुला की बात याद करता है
जिसे परवाह नहीं थी लोगों की नफरत की
बशर्ते वे उससे रते रहें
वह नहीं जानता था कि नफरत ज्यादा होने पर
डर को दरकिनार कर विद्रोह पैदा करती है
और वह कैलीगुला का अँत भी नहीं याद रखता
शताब्दियों बाद जिसकी पुनरावृत्ति होती है
कैलीगुला के वारिस मुसोलिनी के अंत में
यह कैलीगुला भी वैसे ही जाएगा
जैसे गए इसके पहले वाले कैलीगुला।
(ईमि: 15.05.2024)
मोदी अमित शाह और कुछ सूतिये देश चल रहा है और आप कैलीगुला पे लगे हैं?
ReplyDeleteउन्ही पर यह लिखा गया है।
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