Platonic Love का प्रयोग लोग प्रायः इसका मंतव्य बिना ही वासना या यौन-आकर्षण विहीन आध्यात्मिक संबेध के अर्थ में करते हैं। प्लेटो नैतिकतावादी है, शुद्धतावादी (puritan) नहीं। सेक्स अपने आप में बुराई नहीं है, बल्कि संतानोपत्ति के लिए आवश्यक और अपरिहार्य। लेकिन यदि इसके चलते व्यक्ति अपने कर्तव्य से विमुख हो जाए तो यह बुराई बन जाती है। इसीलिए वह अपने आदर्श राज्य में शासक वर्गों के बीच नियंत्रित और नियोजित सेक्स की व्यवस्था करता है। उसके आदर्श राज्य में सेक्स भावी शासक पैदा करने का एक टूल है। राज्य तय करता है कि कौन, कब, किस पवित्र अवसर पर किसके साथ सोएगा। दार्शनिक राजा लॉटरी में हेरा-फेरी से सुनिश्चत करता है कि योग्य पुरुष और योग्य स्त्री के बीच समागम अधिकतम हो और अयोग्यों के बीच न्यूनतम तथा सेक्स पार्टनर्स के बीच कोई भावनात्मक लगाव न हो। मां बच्चे को दूध पिलाने के अलावी उससे कोई भावनात्मक लगाव न रखे। राज्य नियंत्रित शिशुशालाओं में बच्चों का समुचित पालन-पोषण हो तथा व्यक्तिगत रूप से न कोई किसी का बेटा/बेटी होगा न कोई किसी का भाई-बहन। सब बच्चे आपस में भाई-बहन हैं और सभी प्रौढ़ उनके माता-पिता। इनसेस्ट संबंध रोकने का कोई उपाय नहीं बताया है। इस पर विस्तार से फिर कभी । राजनैतिक दर्शन के इतिहास में आदर्शवाद का प्रवर्तक प्लेटो वास्तविकता का सार पर्थिव (भौतिक) विश्व में नहीं विचारों की दुनिया में स्थापित करता है, सौंदर्य वस्तु की नहीं उसके विचार का होता है। वह कामदेव (इरोज) कभी शारीरिक संबंधों के अर्थ में करता है तो कभी शिव (good) की प्राप्ति की प्रबल उत्कंठा के रूप में करता है। वह भावना (emotion) या जूनून (passion ) को व्यक्तितव का निम्नतर तत्व मानता है तथा विवेक को श्रेष्ठतर इसलिए भावना या जुनून पर विवेक के सख्त नियंत्रण या दिल पर दिमाग के राज की हिमायत करता है। इंद्रियो द्वारा महसूस की जाने वाली वस्तु का सार वस्तु में नहीं उसके विचर में स्थापित करता है। इसलिए प्यार नहीं प्यार का विचार सत्य है। वह यह नहीं बताता कि प्यार (वस्तु) के बिना उसका विचार कैसे और कहां से आता है?