किसी ने लिखा, " यूक्रेन प्रकरण में भारत के अन्तर्राष्ट्रीय छवि पर धूर्तमण्डली की ओर से कोई पोस्ट अभी तक नहीं आयी है क्या ?" उस पर:
ये धूर्त मंडली कौन है? तर्क- विवेक से वंचित लोग अपनी राय देने की बजाय दूसरों को राय न देने के लिए कोसते हैं। पेट पर लात भी प्रसाद समझकर खाने वाले सरकारी अंधभक्तवे सोचने समझने की शक्ति से वंचित होते हैं क्या? किसी मुद्दे पर अपनी राय बनाने का विवेक होता नहीं, अपनी धूर्तता छिपाने के लिए औरों को गाली देने लगते हैं। बाकी अंधभक्त सुर में सुर मिलाकर पंजीरी की उम्मीद में रटा भजन गाने लगते हैं। इन बुद्धीविहीन अंधभक्तों को सद्बुद्धि की शुभकामनाएं। रूस के युद्धविरोधी प्रदर्शनकारियों को सलाम। विभिन्न शहरों से लगभग 2000 प्रदर्शनकारियों को पुतिन की अधिनायकवादी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया है। साम्राज्यवादी पूंजीवाद जब भी असाध्य संकट के दौर से गुजरता है तो जनमानस का ध्यान भटकाने के लिए अपने आंतरिक अंतर्विरोधों को उछालकर दुनिया को युद्ध के दलदल में झोंक देता है। 1910 और 1930 के दशक के पूंजीवाद के संकट और प्रथम तथा द्वितीय विश्वयुद्ध तथा इस शताब्दी में अमरीका, इराक और लीबिया पर अमेरिकी हमले इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। जंग अपने आप में ही एक गंभीर मसला है, यह किसी मसले का समाधान नहीं हो सकता। युद्ध में कोई विजयी नहीं होता, मानवता हारती है। यूक्रेन पर रूसी हमले से केवल यूक्रेन की ही नहीं रूस की भी जनता तबाह और बदहाल होगी, इतना ही नहीं भूमंडलीय युग में भारत समेत कोई भी देश इसके कुपरिणामों से अछूता नहीं रहेगा। दुनिया की सभी जनतांत्रिक ताकतों और व्यक्तियों को अपने अपने तरीके से युद्ध का विरोध करना चाहिए। युद्धोंमादी राष्ट्रवाद अधिनायकवादी शासकों की शरणस्थली है। 'जंग चाहता जंगखोर, ताकि राज करे हरामखोर'
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment