निजीकरण का जादू
यूक्रेन में गृहयुद्ध की स्थिति में फंसे भारतीय छात्रों की वापसी के लिए एयरइंडिया ने किराया दोगुना (35,000 से बढ़ाकर 70,000) कर दिया है। गौरतलब है कोरोना संकट में विदेशों में फेसे भारतीयों को एयरइंडिया से मुफ्त स्वदेश लाया गया था। तब यह सेवा सरकारी थी, जिसे सरकार ने सबके साथ और सबके विकास के लिए टाटा को बेच दिया। यह कृपापात्रता पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म) का एक नमूना है।
निजीकरण के परिणाम समझने के लिए किसी राजनैतिक अर्थशास्त्र (पॉलिटिकल इकॉनॉमी) के ज्ञान की नहीं महज सहजबोध (कॉमन सेंस) की जरूरत होती है। किसी भी धनपशु का मकसद ज्यादा-से-ज्यादा मुनाफा कमाना होता है, जो जनकल्याण या मानवीय संवेदना से नहीं, लूट-पाट और धोखाधड़ी तथा मौके का फायदा उठाने से किया जा सकता है।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.02.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4351 में दिया जाएगा| ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
दिलबाग
शुक्रिया
Deleteबेहतरीन आलेख
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteवाह!वाह! क्या खूब कहा।
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया
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