छोटे-बड़े का लिहाज बिल्कुल होनी चाहिए, लेकिन शीर्षासन करके नहीं, समता भाव से। सीखने के लिए सबमसिव होना शिक्षा की अधिनायकवादी परंपरा है जिसमें व्यक्ति भेंडों की तरह अंध अनुयायी बनता है, तार्किक इंसान नहीं। सही ज्ञान असेर्टिव होकर सवाल करने का साहस अर्जित कर शिक्षा की जनतांत्रिक परंपरा कायम करने में है। बुद्ध के शिष्य उनसे ही नहीं उनपर सवाल करते थे। मैं अपने उन छात्रों को अतिरिक्त प्यार से याद करता हूं जिन्होंने कभी मुझ पर सवाल किए। बोौद्ध शिक्षा पद्धति जनतांत्रिक थी और गुरुकुल परंपरा अधिनायकवादी जिसमें गुरु अंतिम सत्य का वाहक माना जाता था। ज्ञान सवाल करने से आता है गुरुर्देवो भव की भावना से गुरु का अनुशरण करने से नहीं।
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