Thursday, April 29, 2021

हॉस्टल की वार्डनशिप

Raj K Mishra मैं अपने उन छात्रों का अतिरिक्त सम्मान करता हूं, जिन्होंने कभी असहज सवाल पूछा। एक घटना शेयर करके कुछ काम करने बैठता हूं।

मैं हॉस्टल में वार्डन था। कॉलेज के किसी कार्यक्रम में दो बच्चों ने छोटी-मोटी मार-पीट किया। एक लड़का कुछ और लड़कों के साथ आया और रो-गाकर बेचारे की छवि (victim image) बनाया और दूसरा घर चला गया। सहजबोध का तर्क यह लगा कि गलती होगी तभी 'भाग गया'। 3 साल के कार्यकाल में किसी छात्र को मिलने वाला एकमात्र दंड था Show cause notice, जिसे वे प्रेमपत्र कहते थे। सुंदर सा प्रेमपत्र डाइनिंग हाल के नोटिसबोर्ड पर लगा दिया जाता था। मैं सारे फैसले उनकी जीबीएम (आमसभा) में बहस के बाद पारित होते। यदि आप ईमानदारी से जनतांत्रिक पारदर्शिता से सही काम करें तो आपकी बात लोग मानेंगे ही। जीबीएम के लिए डाइनिंगरूम खचा-खच भरा था। एजेंडा रखते ही क्लास में आमतौर पर चुप रहने वाले मेरे 2 छात्र -- जयंत महेला और कार्तिक -- प्रतिरोध के स्वर में बोल पड़े, "सर आप पक्षपात कर रहे हैं" और पूरी बात बताया। मुझे गलती का एहसास हुआ कि बिना अच्छी तरह छानबीन किए किसी निष्कर्ष नहीं पहुंचना चाहिए। मैंने माफी मांगा और गलती-माफी पर लंबा संवाद चला।

वार्डनशिप के कार्यकाल का अंतिम प्रेमपत्र इस शुरुआत के साथ खुद को लिखा, "With due gratitude to dissenting voices in GBM.....". एक शिक्षक को मिशाल से पढ़ाना चाहिए, प्रवचन से नहीं। यदि छात्रों से कहता हूं कि गलती होने पर माफी मांगना चाहिए, तो अपनी गलती का एहसास होने पर खुद भी माफी मांगना चाहिए। प्रेमपत्र पाने वाले बच्चे ज्यादा प्यार करते हैं।

मुझे अपनी teaching की सफलता का एहसास हुआ क्योंकि मैं पहली क्लास में ही उन्हें जो चंद बातें बताता था उनमें एक थी, "Key to any knowledge is questioning; question anything and everything beginning with your own mindset." और यह कि "Knowledge does not come from what you are taught but by questioning what you are taught." और "Learning is just one part of knowledge process, more important part is unlearning. Unlearn the acquired morality, acquired without conscious will and replace them with rational morality that is acquired with conscious will." Unlearning की शुरुआत क्लास में क्लास में मेरे आने पर खड़े होने की मनाही से होती थी। कोई भी काम मत करिए जिसका कारण पता न हो। पीढ़ी-दर-पीढ़ी टीचर के सम्मान का जवाब मान्य नहीं है। बेंच से 6 इंच ऊपर होने से
सम्मान की कोई गारंटी नहीं है। इज्जत दान-खैरात में नहीं मिलती, कमाई जाती है और पारस्परिक होती है। मेरी क्लास में कोई खड़ा नहीं होता था, आदतन कोई खड़ा हो गया तो पूठता कि उनकी क्या समस्या है। क्लास में खड़ा न होने का यह मतलब नहीं कि वे मेरा सम्मान नहीं करते थे।

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