दिवि के एसी-ईसी के इस चुनाव परिणाम में लगे नारों ने 1990 की डूटा की उस जीबीयम की याद दिला दी जिसमें मंडल मुद्दे पर वामपंथी (डीटीयफ) मुरली मनोहर प्रसाद (यमयमपी) सिंह की अध्यक्षता वाली डूटा का प्रस्ताव पराजित हो गया था, मुरली बाबू को डूटा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय भी यनडीटीयफ के लोग नाच नाच नारे लगा रहे थे, मंदिर वहीं बनाएंगे, जय श्रीराम वगैरह। लाल गुलामी छोड़कर बोलो बंदे मातरम् में इस बार इन्होंने लाल गुलामी की जगह हर गुलामी कर दिया। जेयनयू के छात्रसंघ के अध्यक्ष अमित सेनगुप्त को भी इस्तीफा देना पड़ा था। तब से चीजें बहुत बदली हैं, लेकिन इतनी नहीं। मैं अस्थाई नौकरी में था फिर भी खूब जवाबी नारे लगाए। उसके बाद मेरी नौकरी चली गयी थी, उसके अन्य कारण भी थे। ये शिक्षक विज्ञान पढ़ाने की बजाय मंदिर बनाने के प्रति ज्यादा संकल्पशील हैं। Laxman Yadav
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