भगवान का अपमान
जब भी देता हूं
वर्तमान के किसी सच पर एक तार्किक बयान
वे कहते हैं
है यह अतीत के किसी भगवान का अपमान
जब भी करता हूं
तथ्यपरक समीक्षा इतिहास की
वे कहते हैं
इसे निंदा किसी गौरवशाली पूर्वज की
लेता हूं जब
पूर्वाग्रहों की तर्कपूर्ण परीक्षा
मानते हैं वे
इसे देशद्रोह की दीक्षा
मोम से भी नाज़ुक उनके धर्म की भावनाएं
आहत हो जाती हैं
तर्क की किसी बात से
जवाब देते हैं वे इसका
कुतर्कपूर्ण उत्पात से
लेकिन मेरा क्या
मैं तो नास्तिक हूं
जो डरता नहीं
किसी भूत या भगवान से
न ही
फिरकापरस्ती के शैतान से
सुनो मजहबी शियात के सुल्तानों
नफरत की विरासत के आकाओं
बात बात पर
आहत होने वाली भावनाओं
करते रहेंगे हम
हकीकत का तार्किक बयान
आहत हों उससे जिसके भी भगवान.
(अरुण माहेश्वरी की वाल पर सरला जी की आहत होती भावनाओं पर सटीक
काव्यात्मक टिप्पणी पर टिप्पणी. ढंग से नहीं हो पाई)
(ईमिः 16.01.2016)
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